राम कोई शब्द या नाम नहीं,बीज मंत्र है-जिलाधिकारी पी0सी0 श्रीवास्तव
अजीतमल : रामकथा सुंदर करतारी, संशय विहग उड़ावनहारी।इस धरती को स्वर्ग बनाना है तो रामचरित मानस पढ़ना होगा, सुनना होगा, और जीवन मे भगवान राम के आदर्शों को धारण करना होगा।
बाबरपुर कस्बा स्थित सब्जी मंडी परिसर मे चल रहे 25 वें मानस सम्मेलन समारोह के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में दूसरे दिन मंगलवार को अतिथि के रूप में जिला अधिकारी औरैया प्रकाश चंद श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में पहुंचकर भगवान के चित्रों पर पुष्प अर्पण के बाद कार्यक्रम में पधारे मानस मनीषियों का सम्मान किया तदुपरांत मानस समिति के डॉ उमेश दीक्षित, रामदर्शन कठेरिया, रामअवतार गुप्ता, लाल जी पोरवाल, लक्ष्मण तिवारी, संजीव पोरवाल, कन्हैया चौहान, प्रदीप यादव, बृजेश राजपूत, होरी लाल पोरवाल, राम प्रकाश पोरवाल आदि ने कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जिला अधिकारी पीसी श्रीवास्तव सहित मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह ,उप जिलाधिकारी अजीतमल अखिलेश कुमार सिंह का माल्यार्पण शाल ओढ़ाकर सम्मान किया । जिलाधिकारी ने अपने उद्बोधन में उपस्थित मानस प्रेमियों को मानस से जोड़ने का प्रयास किया उन्होंने कहा कि – राम कोई शब्द या नाम नही बल्कि स्वार्थ से परमार्थ की ओर और योनियों से मोक्ष की ओर ले जाने वाला बीज मंत्र है।
चरित – बाल, युवा, प्रौढ़ लीलाओं के साथ साथ वन गमन लीला भी भगवान ने लोगों के सामने आदर्श प्रस्तुत करने के लिये की। यह चरित रचकर भगवान राम ने लोगों को सन्मार्ग पर चलने के लिए आदर्श प्रस्तुत किया।
मानस -भगवान शंकर में रामचरित मानस ऋषि अगस्त्य को सुनी। माता सती भी थी। लेकिन चंचल मन कथा के नही लगा। उपयुक्त समय, देशकाल आने पर, स्वयं माता सती को रामचरित मानस सुनने की इच्छा जागृत हुई तब भगवान शंकर ने प्रभु राम के चरित का श्रवण करवाया। मति अनुरूप कथा में भाखी,,,,,
अर्थात मन में प्रीति जागने पर कथा सुननी और सुनानी चाहिए। यही मानस है।
जिलाधिकारी ने बताया कि रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने प्रत्येक चौपाई, छंद आदि में शब्दों के रखने का क्रम भी कहीं न कहीं अपना अर्थ रखता है। आज पाश्चात्य की ओर बढ़ते कदमो पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक को रामचरित मानस का पाठ भले ही एक दोहा नित्य करे, अवश्य करना चाहिए। मन से अहंकार मिटाने, धर्म ध्वजा फहराने और देशहित व लोककल्याण के लिये रामचरित मानस का श्रवण, पाठन और मनन, सबसे सुगम व सरल साधन है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से इस मानस सत्संग में नित्य आकर अपने जीवन को धन्य करने की अपील की सम्मेलन में मानस वक्ता रमेश रामायणी ,बांदा से पधारे यगेश मिश्रा राजेश बुधौलिया सीता शरण सहित अन्य विद्वानों ने भी मार्मिक मानस की चौपाइयों के माध्यम से मानस पर चर्चा की 12 नवंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में ख्याति प्राप्त मानस मनीषियों द्वारा रात्रि व दिन दोनों पलियो में मानस पर चर्चा की जायेगी।