अन्य राज्यों से
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उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कालेज में हृदयविदारक घटना ,मेडिकल कॉलेज लगी आग, 10 बच्चों की मौत: एनआईसीयू में भर्ती थे, फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां मौके पर। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। हादसे में 10 नवजात बच्चों की जलकर मौत हो गई। उनके शव निकाले जा चुके हैं। मौके पर दमकल की 6 गाड़ियां मौजूद हैं। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी किए अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं दोषी होना घर तोड़ने का आधार नहीं घर सपना है कभी न टूटे लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकार की रक्षा जरूरी सरकारी शक्ति का दुरुपयोग नहीं हो सकता सरकार की जिम्मेदारी,राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखें बिना मुकदमे के मकान नहीं गिरा सकते शासन मनमाने तरीके से मकान नहीं गिरा सकता मनमाने तरीके से घर गिराया तो प्रशासन जिम्मेदार मनमानी तरीके से घर गिराने पर अधिकारियों की जवाबदेही संविधान में आरोपियों को भी अधिकार मिले हैं बिना मुकदमे के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता प्रशासन जज नहीं बन सकता अगर अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा मिले अवैध कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए बुलडोजर एक्शन पर मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं अपराध की सजा देना कोर्ट का काम आम आदमी का घर वर्षों की मेहनत का नतीजा सिर पर छत होना भी जीने का अधिकार अवैध निर्माण को जुर्माना लगाकर नियमित किया जा सकता है आरोपी के अपराध की सजा पूरे परिवार को नहीं एक की गलती,तो सबको मकान से वंचित नहीं कर सकते आरोपी होने पर घर नहीं गिरा सकते । नोटिस में बताएं मकान कैसे अवैध है । नोटिस की जानकारी डीएम को दिया जाए । 3 महीने में पोर्टल बनाकर सभी को नोटिस साझा करें । नोटिस में बताया जाए कौन सा हिस्सा अवैध है अवैध निर्माण तोड़ने की वीडियोग्राफी हो डीएम एक महीने में नोडल अधिकारी नियुक्त करें सभी राज्यों के मुख्य सचिव को आदेश भेजा जाए स्थानीय नगर निगम के मुताबिक नोटिस हो बुलडोजर एक्शन पर नोटिस डाक से भेजा जाए गलत कार्रवाई पर अधिकारियों को भुगतान करना होगा । नोटिस के 15 दिन के भीतर कोई कार्रवाई न हो।
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी किए अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं दोषी होना घर…
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*पूर्व डीजीपी बोले: एनकाउंटर में फंसे तो बाल-बच्चे तक रोएंगे:* *दबाव डालकर जो सरकार या अधिकारी फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं,* *फंसने पर वे कोई मदद नहीं करते उत्तर प्रदेश के *पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह* ने पुलिस अफसरों को चेताया है। उन्होंने कहा- जो सरकारें और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने अधीनस्थों पर नाजायज दबाव डालकर फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं। वे फंसने पर कोई मदद नहीं करते हैं। जब मुकदमा सजा के लेवल पर आता है, तब तक ये पुलिस अधिकारी बूढ़े और रिटायर्ड हो चुके होते हैं। कोई आगे पीछे नहीं होता। इन्हें उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाता है। पुलिस अधिकारी नहीं चेते, तो बाल-बच्चे तक रोयेंगे। *नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने।* सुलखान सिंह ने प्रयागराज में फर्जी एनकाउंटर पर 12 पुलिस कर्मियों पर FIR का जिक्र भी किया। *सुलखान सिंह 2017 में बनी भाजपा सरकार के पहले डीजीपी* थे। सुलखान सिंह ने दो खबरों की कटिंग के साथ अपनी *फेसबुक वाल पर लिखा है…* *प्रयागराज में फर्जी एनकाउंटर पर 12 पुलिस कर्मियों पर एफआईआर दर्ज* 12 पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज। इधर दो समाचार कटिंग भी संलग्न हैं। *जरा देखिए।* भाजपा के पूर्व सांसद *श्री बृजभूषण शरण सिंह* ने कहा है कि प्रमोशन और पैसे के लिए एनकाउंटर कर रहे हैं। मैं पहले भी पुलिस कर्मियों को फर्जी मुठभेड़ों पर आगाह कर चुका हूं। *गाजीपुर* के एक मामले में घटना के 22 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई गई थी। एक पोस्ट में मैंने और पहले लिखा था कि किस तरह जनपद *सीतापुर* की एक मुठभेड़ के मामले में घटना के 25 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और एक एक करके कई पुलिस अधिकारी केन्द्रीय कारागार *बरेली* में मरते रहे लेकिन अदालतों से उनकी जमानत नहीं हुई। *लगभग ढाई सौ पुलिस अधिकारी जेलों में सड़ रहे हैं।* इन्हें कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं होता है। *पीलीभीत* जनपद में खूंखार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले 45 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा हुई। *उस समय भी भाजपा सरकार थी।* वर्तमान भाजपा सरकार ने बार-बार गुहार लगाने के बाद भी इन बूढ़े और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की सजा माफ नहीं की। हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं हुई। जो सरकारें और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अपने अधीनस्थों पर नाजायज दबाव डालकर फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं, वे फंसने पर कोई मदद नहीं करते। जब मुकदमा सजा के लेविल पर आता है तब तक ये पुलिस अधिकारी बूढ़े और रिटायर्ड हो चुके होते हैं। *कोई आगे पीछे नहीं होता।* इन्हें उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाता है। पुलिस अधिकारी अभी भी नहीं चेते तो *बाल-बच्चे तक रोयेंगे।* नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने।
पूर्व डीजीपी बोले: एनकाउंटर में फंसे तो बाल-बच्चे तक रोएंगे: दबाव डालकर जो सरकार या अधिकारी फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं,…
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