“ईदमिलादुल नवी” के जुलूस दौरान इत्र और फूलों की खुशबू से महका जसवन्तनगर

   *आधा किलोमीटर लंबा निकला ' जुलूसे मोहम्मदी'    *मौलाना कमालुद्दीन ने की अगुआई   * सांप्रदायिक और राष्ट्रीय एकता प्रदर्शित

 फोटो: बाराबाफात के जुलूस की सदारत करते हाजी कमालुद्दीन, लल्ला और रफीक टाल वालों के यहां स्वागत होता हुआ। जुलूस निकलता हुआ
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    जसवन्तनगर (इटावा) ईद मिलाद उल नवी यानि बाराबफ़ात का त्यौहार सोमवार को इस्लाम धर्म अनुयायियों ने जसवन्तनगर में  पूरे जोशो खरोश,अहतराम और मुल्क की तरक्की की इस्लामी मंशा प्रगट करते मनाया।
      इस मुबारक मौके पर आधा किलोमीटर लंबा, भीड़ से लवरेज तथा इत्र और फूलों की खुशबू से सराबोर जुलूस नगर की सड़कों पर निकाला गया। जुलूस में जश्न में डूबे युवा,बच्चे प्रौढ़ और बुजुर्ग मजहबी टोपिया लगाए, साफे बांधे डीजे की तेज ध्वनियों के साथ न केवल थिरक रहे थे बल्कि पैगंबर साहब की यौमे पैदाइश का मुबारकबाद एक दूसरे को अता फरमा रहे थे।

ईद मिलादुन्नबी का यह जुलूस सराय खाम स्थित मदरसा उलूम से आरंभ हुआ।  इटावा ईदगाह के इमाम हाजी मोहम्मद कमालुद्दीन साहब ने जुलूस को हरी झंडी दिखाई ।वह स्वयं भी जुलूस में आगे आगे चले। उनके आगे एक गाड़ी पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से लहराता चल रहा था। जुलूस में हजारों मजहबी और राष्ट्रीय झंडे लहराते चल रहे थे।कटरा पुख्ता, महलई टोला, कटरा बुलाकी दास गोला वाली मस्जिद, बड़ा चौराहा, सदर बाजार ,नदी पुल बाजार होता यह जुलूस लुधपुरा पहुंचा, जहां कई जगह जुलूस में चल रहे लोगों का स्वागत किया ।  लुधपुरा में मोहम्मद अजमल मोहम्मद अकरम ने लाल टाल वाले प्रतिष्ठान पर जोरदार स्वागत किया।

सांसद डिंपल यादव के प्रतिनिधि रहे हाजी शमीम और हाजी सलीम ने मरहूम रफीक टाल वालों के प्रतिष्ठान पर जबरदस्त स्वागत कार्यक्रम का आयोजन किया और इमाम समेत नेताओं आदि का सॉल ओढाकर अभिनंदन किया।रास्ते भर कई जगह शरबत और कोल्ड ड्रिंक और मिष्ठान के स्टॉल लगाये गये थे। बाद में जुलूस नगर भ्रमण के बाद पूरी शांति और सौहार्द के साथ संपन्न हुआ । दिनभर  बधाईयों का सिलसिला चला।

     मौलाना कमालुद्दीन साहब के नेत्तव में निकले  ईद मिलादुन्नबी के जुलूस ए मोहम्मदी में मौलाना फरहान,हाफिज समीउद्दीन,हाफिज सईद, हाफिज आसिफ,कारी हमीदुल्लाह, जिला अध्यक्ष सपा बब्लू शाक्य,पूर्व ब्लॉक प्रमुख ब्रजेश चंद्र यादव,विधायक प्रतिनिधि अजेंद्र सिंह गौर,नगर अध्यक्ष राहुल गुप्ता,प्रमुख महासचिव राशिद सिद्दीकी, मो जहीर,शाहबुद्दीन कुरैशी, मो जुबेर, सभासद मो फारूक,राजीव यादव, मो इरफान, मो फैजान, मो शमीम खान,जफरुल्लाह खान, मजरुल्लाह खान लड्डन,हाजी सलीम, इफ्तिखार फारूकी,अब्दुल्लाह अंसारी, पाक मोहम्मद, जुनैद सिद्दीकी,इमरान फारूकी, मो अली, रफीक चुन्ना, मो अकरम, मो अजमल, अखलाक फारूकी आदि की मौजूदगी थी।
  जन्म दिन का प्रतीक है बारावफात पर्व
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 कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया बाराबफात का यह पर्व जाता है, जो इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन का प्रतीक है। यह मुबारक  दिन मुसलमानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके अपने पैगंबर के जन्म का जश्न भरा दिन है, जो इस्लाम के संस्थापक और अल्लाह के अंतिम रसूल थे।
   हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। वह एक समृद्ध और प्रतिष्ठित कुरैश कबीले से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता अब्दुल्लाह और माता अमीना थीं। उनके जन्म के बाद, उन्हें उनकी माता ने एक दाई, हलीमा सादिया को सौंप दिया था, जिन्होंने उनकी परवरिश की।
      हजरत मोहम्मद साहब ने अपना जीवन एक सच्चे मुसलमान और उन्होंने अपने जीवनकाल में कई चुनौतियों का सामना किया था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अल्लाह के संदेश को फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया और इस्लाम की स्थापना की।
    हजरत मोहम्मद साहब की शिक्षाएं इस्लाम के मूल सिद्धांतों पर आधारित हैं। उन्होंने एकेश्वरवाद, न्याय, और मानवता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सभी मानव समान हैं और किसी भी प्रकार के भेदभाव को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
     ईद मिलाद उल नबी के दिन इस्लाम अनुयाई हजरत मोहम्मद साहब पैगंबर के जीवन और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करने का संकल्प लेते हैं।इस दिन को मनाने का उद्देश्य हजरत मोहम्मद साहब की शिक्षाओं को फैलाना और उनके जीवन के मूल्यों को अपनाना है। यह दिन मुसलमानों को अपने पैगंबर के प्रति सम्मान और प्रेम का प्रतीक है यह दिन मानवता के मूल्यों को बढ़ावा देता है और मुसलमानों को एकजुट करता है।
    जसवंत नगर कस्बा शुरू से ही हिंदू और इस्लाम अनुयायियों के बीच आपसी एकता और सौहार्द का प्रतीक रहा है, इसलिए 12 वफात के आज के जुलूस के दौरान इस्लामधर्म की अनेक कमेटियों ने बढ़ चढ़कर जुलूस में शिरकत की हुई थी वही वही हिंदू अनुयायियों ने भी जगह-जगह जुलूस का इस्तकबाल किया।:वेदव्रत गुप्ता
 *वेदव्रत गुप्ता
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