छद्म साधुओं की पहचान कराकर जेल भेजे सरकार : मदनगोपाल दास
अनिल सिंह ब्यूरो चीफ माधव संदेश
चित्रकूट। साधू का भेष धारण करके तमाम अधर्मी हिंदू धर्म को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। यह बहुत खतरनाक साजिश है। एक तरफ बहुरुपिए नाम बदलकर प्रेमजाल में फंसाकर हिन्दू बहन-बेटियों के साथ विवाह का धोखा कर रहे हैं। लवजिहाद कर रहे हैं। दूसरी और छद्म साधू बनकर छेड़खानी, नशाखोरी करते दिखाई पड़ रहे हैं। सोशल साइट्स के माध्यम से खुलासा हो रहा है। लेकिन ऐसे कृत्य गंभीर विषय हैं। शासन को संज्ञान लेकर इनकी पहचान कराते हुए जेल भेजना चाहिए।
यह उद्गार गत दिवस प्रेस वार्ता के दौरान श्रीकामदगिरि पीठम, श्रीकामतानाथ मंदिर प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास व्यक्त किए। उन्होंने छद्म साधू भेषधारियों को कालनेमि की संज्ञा देते हुए भारत सरकार एवं प्रदेश की सरकारों को इस आशय का एक पत्र भी प्रेषित किया है कि अभियान चलाकर साधुओं के आधारकार्ड का परीक्षण कराया जाए। छद्म साधुओं को जेल में डाला जाए। यह हिन्दू धर्म के खिलाफ चल रहा बड़ा षड्यंत्र है। साधू समाज को बदनाम करने की सुनियोजित मुहिम है।
मदनगोपाल दास ने संत समाज से भी ऐसे बहुरुपियों के विरुद्ध शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण किए जाने की बात कही है। उन्होंने समाज का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि यदि गली मोहल्लों में कोई साधू संदिग्ध लगे तो हरहाल में उसे रोककर उसका आधार कार्ड, उसका पता ठिकाना, बोली-बानी का पता कर पुलिस को सूचित करें। क्योंकि धर्म की आड़ में ऐसे अराजक तत्व बस्तियों में अराजकता फैलाते हैं। तथा धर्म को बदनाम करते हैं।
संतों ने ‘आदिपुरुष’ के फिल्मकारों को ललकारा
• मदनगोपाल दास ने कहा कि रामायण के साथ कोई ज्यादती बर्दाश्त नहीं होगी।
चित्रकूट। फिल्म निर्माता ओम राउत की आने वाली फिल्म “आदिपुरुष” को लेकर चित्रकूटधाम के संत काफी कुपित हैं। श्रीकामतानाथ प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास ने ललकारते तुए कहा कि प्रभु श्रीराम एवं रामायण के अन्य किसी भी चरित्र के साथ रामद्रोही राष्ट्रघातियों की कोई भी ज्यादती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। “आदिपुरुष” फिल्म का जो टीजर रिलीज हुआ है। जिसमें प्रभु श्रीराम के जीवन पर आधारित उक्त फिल्म में नायकों की वेशभूषा एवं उनकी छवियों को विकृत तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं।
गत दिवस एक प्रेस वार्ता के दौरान संत मदनगोपाल दास ने गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रगतिशील सिनेमा ने कुत्सित भावना की झलक दिखाते हुए आराध्य राम जी वीर हनुमान जी, सीता माता तथा लंकेश रावण आदि की जो छवि प्रस्तुत की गई है, वह लोकव्यापी छवियों के प्रतिकूल है। भारतीय आस्था पर पर कुठाराघात किया गया है। इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है। अशोभनीय पोशाक दिखाकर जानबूझकर देवी देवताओं का मजाक बनाया जा रहा। संविधान के अनुसार किसी धर्म की भावनाएं आहत करने का अधिकार किसी को नहीं मिला है। हिन्दुओं की सहिष्णुता के कारण कुपद, कुदृष्टि वाले लोग हरदम प्रहार करते हैं। यह बालीवुड के माध्यम से गंभीरतम सांस्कृतिक हमला है। प्रगतिशील सिनेमा समाज को संस्कारहीन बनाने में अधिक योगदान दे रहा है। संत मदनगोपाल दास ने सीधे धमकी देते हुए चेतावनी दी है कि यदि प्रदर्शित टीजर के अनुसार यदि फिल्म रिलीज हुई तो गंभीर स्थितियों उत्पन्न हो जाएंगी। फिल्म पर प्रतिबंध लगाए जाने हेतु संत समाज की ओर से भारत सरकार को पत्र प्रेषित किया गया है।
लिविंग इन रिलेशनशिप’ की वैधानिक।मान्यता रद्द हो : मदनगोपाल दास
• बहन-बेटियों के लिए प्राणघातक साबित हो रही यह विकृत मान्यता । • लवजिहाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए संत समाज ने लिखा पत्र ।
विवाह पूर्व अथवा बगैर विवाह के पति-पत्नी की तरह साथ रहने की कानूनी मान्यता भारतीय समाज और संस्कृति के लिए बहुत घातक है। इस कानून से पारिवारिक मूल्यों का पतन हो रहा है। हमारी भारतीय संस्कृति पारिवारिक मूल्यों” के कारण ही पाश्चात्य संस्कृति से पृथक एवं श्रेष्ठ है। यही श्रेष्ठता भारत विरोधियों को खटकती है। हमारी संस्कृति ही राष्ट्र की मजबूती है जिसे तोड़ने के लिए बाहरी-भीतरी राष्ट्रघाती ताकतें खेल खेलती हैं। भोगवादी पाश्चात्य संस्कृति की निजी स्वछंदता को अपनाने वाली वामपंथी विचारधारा देश के भीतर रहकर ही भारत की सुसंस्कृत संस्कृति को कमजोर करने के कार्य करती रहती है।
उक्त उद्गार प्रेस वार्ता के दौरान श्रीकामदगिरि पीठम, श्रीकामतानाथ मंदिर प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास ने व्यक्त किए उन्होंने वामपंथ को आड़े हाथों लेते हुए आगे कहा कि देश की प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक जीवन पद्धति, स्थापनाओं, मान्यताओं को पहले तो वामपंथियों ने रूढ़ियां, पाखण्ड, बेडियां कह-कह कर समाज से खारिज कराने का अभियान चलाया। निजी स्वतंत्रता की आड़ लेकर मर्यादाएं तोड़ने की मुहिम चलाई। इनके प्रभाव में आकर नौजवान भटके। मर्यादाहीन होते गए। भोगवाद को बल मिला। स्वछंदतावादियों ने “लिविंग इन रिलेशनशिप, अप्राकृतिक यौन संबंधों आदि को कानूनी मान्यता तक दिला डाली। अब दुष्परिणाम दिशाहीन होकर देश की बहन-बेटियां भुगत रही है। “श्रद्धा” जैसा जघन्यतम हत्याकाण्ड ऐसी ही भोगवादी संस्कृति का स्वरूप है। न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़कर ऐसी विकृत व्यवस्था को कानूनी मान्यता मिली है। जबकि ऐसे गंभीर
विषय पर न्यायपालिका को निर्णय देने की बजाय संसद को विचार-विमर्श के लिए सौंपा जाना चाहिए था।
संत मदनगोपाल दास ने लिविंग इन रिलेशनशिप की वैधानिक मान्यता रद्द किए जाने एवं लवजिहाद पर कड़ा कानून बनाकर इसे जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए भारत सरकार को संत समाज की ओर से पत्र भेजा है।
मंदाकिनी के जल प्रदूषण से कुपित हैं चित्रकूट के संत सीवरलाइन पर सरकारी शिथिलता अब बर्दाश्त से बाहर : मदनगोपाल दास
• संतों ने लिखा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तल्ख पत्र • कार्य यदि शीघ्र शुरू न हुआ तो तीव्र आंदोलन होगा।
सरकारी एवं विभागीय शिथिलता के कारण आज तक पावन मंदाकिनी के जल को प्रदूषण से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार के दीर्घकालिक कार्यकाल के बावजूद मंदाकिनी में गिरने वाले नाले-नालियों के लिए सीवर लाइन का कार्य न होना शर्मनाक विषय है।
यह बात श्रीकामदगिरि पीठम्, श्रीकामतानाथ मंदिर प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास ने सरकारी उदासीनता पर गहरी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि यदि यथाशीघ्र मंदाकिनी को गंदे नालों के प्रदूषण से मुक्त नहीं किया गया तो तीव्र आंदोलन होगा। यह बात उन्होंने गत दिवस चित्रकूटधाम में आयोजित प्रेस वार्ता में कही।
उन्होंने बताया कि संत समाज की ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है कि शासन द्वारा कार्यस्वीकृति के बावजूद भी आज की तिथि तक मंदाकिनी सीवर लाइन योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है। विडम्बना है कि प्रदेश के अत्यन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल चित्रकूटधाम की शास्त्रों में वर्णित अति पावन मंदाकिनी नदी दर्जनों गंदे नालों-नालियों के जल से प्रदूषित है। श्रद्धालु प्रदूषित जल का आचमन करने को विवश ह। यह घोर विभागीय एवं शासकीय उदासीनता का परिचायक है।
उल्लेखनीय है कि मंदाकिनी के किनारे सीवर लाइन योजना के कार्य हेतु चार-पांच वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। यह भी सुना गया था कि उक्त कार्य मद में धनराशि स्वीकृति करते हुए लोकनिर्माण विभाग को कार्यदायी बनाया गया था। किन्तु काफी समय बीतने के बाद भी कार्य आरंभ नहीं हो पा रहा।
धार्मिक क्षेत्र में खनन कार्य के विरुद्ध होगा तीव्र आंदोलन : मदनगोपाल दास
• पर्वतों में सर्वश्रेष्ठ विंध्यपर्वत श्रृंखला के समाप्त होते जाने से खासे नाराज हुए चित्रकूट के संत ।
विंध्यपर्वत की शताधिक पहाड़ियों के चकनाचूर होने से चित्रकूट के संत अत्यधिक नाराज हैं। शासन स्तर से चलाए जा रहे खनन कार्य के विरुद्ध संतों ने तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी है। श्रीकामगिरि पीठम्, श्रीकामतानाथ मंदिर, प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास ने आक्रोशित होते हुए
कहा कि चित्रकूटधाम की चौरासी कोसी परिक्रमा सहित पर्वतों में श्रेष्ठतम माने गए विंध्यपर्वत के अस्तित्व को मिटाने की मुहिम चल रही है। बुंदेलखण्ड में पर्वत, नदियां प्रकृति के बड़े वरदान हैं। इन्हें तहस-नहस कर यहां का जीवन अभिसप्त हो जाएगा। एक पर्वत की संरचना में प्रकृति के लाखों वर्ष लगते हैं। किसी पूंजीपति और सरकारों की क्षमता नहीं है एक पहाड़ी सौंपना। ठेकेदारों के धंधे के लिए और राजस्व के लिए विंध्याचल पर्वत का नामोनिशान मिटाना प्रकृति के साथ और यहां के जनजीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है।
संत मदनगोपाल दास ने कहा कि बुंदेलखण्ड सूखे की मार झेलने वाला क्षेत्र है। यदि सरकार इसे पर्वतहीन कर देगी तो जलसंकट और बढ़ जाएगा। प्राकृतिक जलस्रोत विलुप्त हो जाएंगे। पर्वत ही चोहड़ो, नदियों की कोख हैं। बादलों को आकर्षित करने के लिए भी पर्वतों का होना बहुत जरूरी है। यहां के ठेकेदारों, सरकारी अफसरों को पर्वतों के खून का स्वाद लग गया है।
चित्रकूटधाम मण्डल में यदि पर्वतों का खनन कार्य न रोका गया तो आने वाली पीढ़ियों का यहां जीना मुहाल हो जाएगा। भूगर्भ जल रसातल में चला जाएगा। वर्षाक्रम और बिगड जाएगा। प्राकृतिक जलस्रोत ढूंढे नहीं मिलेंगे। जैवविविधता तहस-नहस हो जाएगी। विंध्यपर्वत की इतनी विशाल पर्वतश्रृंखला के चौपट हो
जाने से यहां की धरती का संतुलन प्रभावित हो जाएगा। संत मदनगोपाल दास ने बताया कि चित्रकूट क्षेत्र में भरतकूप, गोंडा, रसिन, भरथौल बरगढ़ से लेकर बांदा के नरैनी क्षेत्र के गिरवां क्षेत्र से लेकर महोबा, हमीरपुर, ललितपुर आदि के सी से अधिक पहाड़ियां-पर्वत खनन के चलते मिट गये हैं। संत मदनगोपाल दास ने कहा कि एक तरफ सरकारें बुंदेलखण्ड को हरा-भरा करने के लिए प्रत्येकष वर्ष करोड़ों का वृक्षारोपण कराती है। प्राकृतिक पर्यटन, इको-टूरिज्म की योजनाएं दर्शाती है। दूसरी तरफ प्रकृति की संरचना को मनमाना खनन की अनुमति देती है। विषमताओं से भरे बुंदेलखण्ड में पर्वतों का अंधाधुंध खनन सरकार और जनमानस के लिए गंभीर विषय है।
“उन्होंने तीखे तेवर में कहा कि अब जो भी खनन कार्य चल रहे हैं अथवा प्रस्तावित हैं उन्हें पर्यावरणीय, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक हितों के मद्देनजर सरकार द्वारा तत्काल बंद कराए जाएं, अन्यथा व्यापक जनांदोलन होगा। क्षेत्रीयजनों में भी खननकार्य को लेकर भारी असंतोष बढ़ रहा है।