जीवन में संस्कारों का महत्व, माता पिता के संस्कार जीवन को सफल बनाते :आदित्य सागर
फोटो:- जैन मंदिर लुदपुरा में प्रवचन करते मुनि आचार्य आदित्य सागर जी महाराज
जसवंतनगर(इटावा) मुनि आचार्य आदित्य सागर जी महाराज ने कहा है कि जीवन में संस्कारों का बहुत महत्व होता है। हम बचपन में जो संस्कार प्राप्त करते हैं, वह संस्कार जीवन भर हमारे काम आते हैं।
मुनि आचार्य सागर बुधवार शाम यहां दिगंबर जैन मंदिर लुदपुरा में अपने नियमित प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कार हमारे जीवन को सफल बनाते हैं। उन्हीं से हम आगे बढ़ते हैं।
उन्होंने कहा कि बाल्यावस्था में संस्कारों का देना माता पिता का कर्तव्य होता है। माता-पित द्वारा दिए गए संस्कार ही जीवन के संकटों का निवारण करते हैं।
उन्होंने बताया कि भगवान राम को वनवास जाना पड़ा था।विचारार्थ है कि जिस समय वह वन गए थे,तब उस समय उनके साथ क्या था?
एक धनुष बाण ही था। उनके साथ सीता माता भी थी। वह एक राजकुमारी थी, लेकिन राम।और सीता के माता पिता ने जो संस्कार दिए थे, उन्हीं संस्कारों के दम पर उन्होंने कैसे भोजन बनाया जाता है? कैसे आवश्यक वस्तुओं का संग्रह।किया जाता है। यह सब उनके माता-पिता ने ही।उन्हें सिखाया था। यदि यह सब ज्ञान और संस्कार न होते तो वहां वन में जाकर जीवन भर कष्ट प्राप्त करते।
माता पिता के संस्कार उन्होंने धारण किए थे , इसीलिए वहां पर कष्ट प्राप्त नहीं किया। आनंद से अपना 14 वर्ष।का वनवास व्यतीत किया।
हम सब को इस तरह ही अपना संस्कारों के महत्व को जानकर जीवन व्यतीत करना चाहिए। जीवन में जब हम संस्कारों को ढालते हैं , तो।जीवन।आनंद से कटता है।हम सब माता पिता अपने बच्चों को इस तरह के संस्कार दें कि वह स्वाधीन होकर अपने दैनिक क्रियाकलापों में हर मोर्चे पर सफल रहें।
आचार्य आदित्य सागर जी महाराज ने लुदपुरा जैन मंदिर में सफल सिद्धचक्र विधान मंडल के लिए सभी जैन बंधुओं को बधाई दी। इस आयोजन को आयोजित कराने वाले वीरेंद्र जैन वीरू का अभिनंदन किया गया। दिल्ली से पधारी सिद्धचक्र विधान टीम को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर देवेंद्र जैन, बल्ले जैन, सत्य प्रकाश जैन, प्रवीण जैन, पिंटू विनोद जैन निक्का, चेतन जैन, आराध जैन, आदि मौजूद रहे।
∆वेदव्रत गुप्ता