समाज की सम्पत्ति परिवार से मुक्त कराकर समाज को सौंपी जाए- गुड्डू मंसूरी -समाज के रैन बसेरे को निजी सम्पत्ति बनाने का प्रयास- शफी अहमद

इटावा। मंसूरी समाज द्वारा स्थापित रैन बसेरा, मुसाफिर खाना मंसूरी समाज को सुपर्द होने व एक परिवार के चंगुल से मुक्त कराने तक मंसूरी समाज वैधानिक तरीके से निरन्तर संघर्ष करता रहेगा।

उक्त बात भारतीय मंसूरी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हाजी मुईनुद्दीन मंसूरी गुड्डू व महासचिव शफी अहमद मंसूरी बालक ने आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने बताया कि 51 सदस्यीय भारतीय मंसूरी वेलफेयर एसोसिएशन का गठन वर्ष 1996 में हुआ जिसका रजिस्ट्रेशन वर्ष 2001 में 11 सदस्यीय किया गया था, जिसमें मरहूम हाजी अब्दुल मन्नान मंसूरी सदर व शफी अहमद मंसूरी सेक्रेटरी व समाज के 9 अन्य पदाधिकारी व सदस्य का चयन किया गया था जिसके बाद मरहूम हाजी अब्दुल मन्नान मंसूरी द्वारा मूल समिति के सदस्यों को गुमराह करते हुए समिति का नवीनीकरण 2006, 2011 व 2016 में कराया गया जिसमें समाज के समस्त पदाधिकारियों एवं सदस्यों को हटाकर अपने ही परिवार के पुत्र, दामाद को पदाधिकारी एवं सदस्य नामित करा लिया गया। जब समिति का रजिस्ट्रेशन कराया गया तब समिति का बैंक आफ इण्डिया, इटावा में खाता हाजी अब्दुल मन्नान मंसूरी अध्यक्ष, शफी अहमद मंसूरी जनरल सेक्रेटरी व हाजी फैय्याजुद्दीन मंसूरी खजांची के संयुक्त हस्ताक्षर से संचालित था। इनके द्वारा वर्ष 2016 में समिति के नवीनीकरण में अपने ही परिवार के पुत्र, दामाद, भतीजे को पदाधिकारी बना दिया गया, इस मनमानी फर्जी समिति में यह हाजी अब्दुल मन्नान मंसूरी स्वयं अध्यक्ष एवं अपने पुत्र शाहिद को जनरल सेक्रेटरी व दूसरे पुत्र गुफरान अहमद जो ग्राम्य विकास विभाग में लेखाकर के पद पर सरकारी सेवक हैं को खजांची नामित कर लिया। मंसूरी समाज एवं मूल समिति के पदाधिकारियों के द्वारा मनमानी तरीके से नियम विरुद्ध एक ही परिवार की तथाकथित समिति का विरोध किया जा रहा है एवं उनके परिवार द्वारा रैन बसेरा, मुसाफिर खाना की भूमि का व्यवसायीकरण को रोके जाने की लड़ाई निरन्तर लड़ी जा रही है, जिसमें एक तरफ पूरा मंसूरी समाज एवं दूसरी तरफ मात्र एक परिवार के लोग हैं।

 

 

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