नवरात्रि समाप्त होते ही किशोर किशोरियां जुट गए टेसू – झेँझी के विवाह में

 

फोटो:- टेसू झेंझी के विवाह के लिए चंदा वास्ते निकलीं किशोरों  और किशोरियों की टोलियां

   

जसवंतनगर (इटावा)।शारदीय नवरात्रि समाप्ति के बाद “टेसू- झेंझी”के विवाह का उत्सव  आरंभ हो जाता है। विजयदशमी से लेकर आश्विन माह की पूर्णिमा तक, जिसे टिसुआ पूनों भी गांवों में कहा जाता है, टेसू झैझी के विवाह का लोक उत्सव किशोर किशोरियां मनाती हैं।

    इस वर्ष टेसू झेँझी के विवाह का उत्सव आरंभ हो गया है। मंगलवार से शाम के समय किशोर अपने टेसू हाथों में पकड़े और किशोरियां अपनी गोद में झैंझी को थामे उनके विवाह के लिए द्वार द्वार चंदा लेने निकल पड़ी है।इनके विवाह के लिए इकट्ठा किया  गया धन  किशोर किशोरियां पूर्णिमा की रात को खर्च करके इनका विवाह कराएंगी। 
       बताया जाता है कि टेसू और  झेझी के विवाह की प्रथा महाभारत कथा से जुड़ी है।टेसू  बर्बरीक थे। बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे.।. वह बेहद शक्तिशाली थे और महाभारत के युद्ध में शामिल हुए थे।लेकिन उन्होंने अपनी मां को वचन दिया था कि महाभारत में जिस किसी की सेना हारेगी ,वह उस सेना की ओर से युद्ध लड़ेंगे। टेसू में लकड़ी की तीन टांगों पर बर्बरीक का कटा सिर रखा  होता है। बताते हैं कि वर्तमान में खाटू श्याम की जो पूजा होती है वह बर्बरीक ही है।
      इनके  विवाह का उत्सव मूल रूप से लोक गायकी से जुड़ा उत्सव भी है,क्योंकि इस विवाह के दौरान दोनों के विवाह के लिए  चंदा लेने द्वार द्वार जब बच्चे जाते हैं तो टेसू  झेंझी के गीतों का गायन करते हैं ,जो बड़े ही रोचक और लावण्यता से  भरे होते हैं। ‘…मेरा टेसू यही खड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा, टेसू अटर करे, टेसू बटर करे, टेसू लेई के टरे … मेरे टेसू  को रचो है व्याह, खर्च को रुपया  देव..!आदि पचासों ऐसे  टेसू और झेंझी गीत  हैं, जो किशोर किशोरियों द्वारा लोगों को पैसा देने को बाध्य करने को गए जाते है। यह सब लोग गाय की और लोग परंपरा को जिंदा रखने का उपक्रम ही माना जाएगा। सब से खास बात यह है कि टेसू झेझीं का विवाह सफल नहीं होता हैं और अकाल मृत्यु होने के कारण बाद में झेंझी और टेसू  दोनों को किसी नदी में सिरा दिया जाता है।
    जसवंतनगर कस्बा में भी किशोर किशोरियां  टेसू और  झेँझी का विवाह धूम धाम से करती हैं। यहां के  लुधपुरा, अहीर टोला, कोठी कैस्थ ,गुलाब बाड़ी ,यादव नगर, रेल मंडी आदि मोहल्लों तथा ग्रामीण क्षेत्रों  में इनके विवाह के लिए  किशोर किशोरियों की टोलियां शाम को द्वार द्वार घूमने लगी हैं। रामलीला मेला में भी जमकर टेसू और  और झेंझी बिक रहे हैं।
*वेदव्रत गुप्ता
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