पानकुंवर स्कूल मे हुआ आयोजन कवि सम्मेलन
इटावा। हिंदी दिवस सप्ताह पर पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अलग-अलग जिलों से आए कवियों ने कविताएं सुना कर लोगों को मंत्र मुक्त कर दिया। देर रात तक यह कवि सम्मेलन चला रहा। कवि सम्मेलन का शुभारंभ तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह, वरिष्ठ कवि प्रेमबाबू प्रेम तथा विद्यालय के प्रबंधक डॉक्टर कैलाश यादव ने प्रज्वलित करके किया। कवि सम्मेलन में कवियों ने ऐसा शमां बांधा कि श्रोता देर तक डटे रहे और तालियां बजाकर वाह वाह करते रहे लोकगीत भी सुनाए गए।
इस कवि सम्मेलन में लखनऊ से आई कवियत्री वंदना विशेष ने सुनाया हमें पता है शान हमारे भारत की, इसमें बसती है जान हमारे भारत की अनगिन बोली भाषाएं हैं दुनिया में हिंदी है पहचान हमारे भारत की। अध्यक्षता करते हुए लोकगीतकार प्रेम बाबू प्रेम ने सुनाया खेत खेत की मेड़ पर हरी धूप इठलाए, चलत बयार धान की बाली भगवा सी लहराए। शायर रौनक इटावी ने सुनाया जो कर ना सका कोई वह करके दिखा दिया, भारत ने अपना चांद पर झंडा लगा दिया। राष्ट्रीय कवि डॉ. राजीव राज ने उम्दा गीत सुनाए उन्होंने सुनाया- कबीर और मीरा का अखिल संसार है हिंदी, सुशोभित शारदे मां के गले का हर है हिंदी, जिसे भूल हो तुम पाश्चात्य के मोह में पड़कर, इस जननी स्वरूप भूमि का श्रृंगार है हिंदी। कवि सतीश मधुप ने सुनाया इसरो अब शोलों से लड़ने वाला है संपती फिर आगे बढ़ने वाला है चंदा पर तो हमने यान उतार दिया अब सूरज पर झंडा गढ़ने वाला है। संचालन करते हुए सतीश मधुप ने राष्ट्रीय गौरव की पंक्तियां पढ़कर शमा बांध दिया। युवा कवि कुमार वैभव ने सुनाया हकीकत बताता था मरने से पहले, मैं एक आईना था बिखरने से पहले, सभी लग रहे थे बहुत ही सुहाने कन्हैया सजने संवरने से पहले।