संजेरी जुलूसों के निकलने का सिलसिला हुआ समाप्त

इटावा। मोहर्रम माह की पहली तारीख से उठने वाली संजेरी व अलम चौकियों के जुलूसों का सिलसिला मोहर्रम की छठवीं तारीख को समाप्त हो गया। छठवीं मोहर्रम को शहर के विभिन्न मोहल्लों से संजेरी व अलम चौकियों के जुलूस अलग अलग जगह से उठाए गए। जिन्होंने ,शहर के प्रमुख मार्गों का भ्रमण किया। इन जुलूसों से सारा शहर मोहर्रम मय हो गया।

इन जुलूसो के अगले भाग में अलम ध्वज व अंतिम भाग में संजेरी की अलम चौकियां चल रही थीं ,और चारों तरफ या अली या हुसैन की सदाएं बुलंद हो रहीं थीं। इन संजेरी जुलूसों की व्यवस्था स्वयं उनके संचालक सभाले हुए थे, इन जुलूसों को उठाने में मौहम्मद जफर, बन्ने अली, जावेद अली, मास्टर रियाज वारिसी, अब्दुल वहीद एडवोकेट, हाजी शाहिद फरीदी गोलू, अनिसुल हसन वारीसी, शान मोहम्मद, भानु दादा, इकबाल अंसारी, परवेज चीनी, शमशुल वारिसी व राजा वारिसी का योगदान रहा। सिया समुदाय की संजेरी का जुलूस मौलाना अनवारुल हसन जैदी की कयादत में उठाया गया, जिसमें सीनाजनी करके मातम किया गया।

जबकि अन्य संजेरी जुलूसों में ढोल तांसों के साथ मातम किया जा रहा था।

इन जुलूसों में बैंड मातमी धुने बजाकर हजरत इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला की यादगार में मन कबत का नजराना पेश कर रहे थे। कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक खादिम अब्बास ने बताया कि सातवीं मोहर्रम को अलम चौकियां सद्दों अलम व जुल्फकार का जुलूस मोहम्मद उस्मान बीके टेलर्स, इकबाल अंसारी की जानिब से शाह महमूद, नौरंगाबाद से उठाया जाएगा। जो शहर के निर्धारित मार्गों का भ्रमण करेगा। खादिम ने बताया कि इससे पहले जो संजेरी जुलूस उठाए गए थे। उनमें असगर अली राइनी मोइनचिश्ती महफूज खां, मौहम्मद इरसाद कुरैशी व अब्बू तालिब मलिक का योगदान रहा।

 

 

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