*दल के दलदल से निकलो*
*दल के दलदल से निकलो*
पानी पानी दिल्ली हो रही,
नेता लगे राजनीति चमकाने में।
ऐंठे बैठे दल दल के नेता,
अपने अपने दल के शामियाने में।
बाढ़ में अपनी उपलब्धि गिनाएं,
लगे हुए खुद को सच्चा बताने में।
रौद्र रूप धर यमुना पहुंची,
ललकार लाल किले के पयताने में।
माडल सरे ध्वस्त हो गये,
लज्जा लिपटी विकास के गाने में।
आरोपों का यह समय नहीं,
सारी शक्ति लगा दो लोग बचाने में।
चुनी हुई सरकारों को,
माननीय करने दीजिए काम।
टांग अड़ाना छोड़ दीजिए,
जिससे काम चले अविराम।
हर मुद्दे पर किच किच होना,
और आना हर बातों में नाम।
यह प्रजातंत्र की रीति नहीं,
यह है केवल करना बदनाम।
राष्ट्र हित की हो भावना,
केवल जनहित ही हो काम।
दल के दलदल से निकलो,
लिखवाओ इतिहास में नाम।।
– हरी राम यादव
7087815077