76 की उम्र ,फिर भी ब्रजपाल में है, सांप पकड़ने का जोश

     *अब तक पकड़ चुके तीन हजार सांप   *तीन बार उन्हें भी सांपों ने

फोटो:- बृजपाल शाक्य और सांपों की वेरायटीज
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जसवंतनगर(इटावा)। सांपों का नाम सुनकर अच्छे-अच्छों की दम निकल जाती है ,जबकि सांपों की सैकड़ों किश्मों में कुछ एक ही जहरीले होती हैं, जिनके काटने से जहर का असर होता है। सांप के काट लेने पर समय पर इलाज या एंटीस्नेक इंजेक्नशन न लगने पर निश्चित ही मौत हो जाती है।
     बरसात के दिनों में सांप अक्सर निकलते हैं। घरों, दुकानों, खेतों, तालाबों अथवा कहीं से भी सांप निकल आते हैं। सर्दी के दिनों में सांपों का निकलना कम ही सुना जाता है, मगर जैसे ही मई-जून का गर्म महीना शुरू होता है,सांपों के निकलने की खबरें आने लगती हैं।
     सांपों का भय हर किसी को होता है। परंतु जसवंत नगर के लुधपुरा मोहल्ले में रहने वाले 76 वर्षीय बृजपाल शाक्य को सांप का नाम सुनते ही अजीब तरह का जोश आ जाता है और वह बेखौफ होकर सांप को पकड़ने चल देते हैं।
     खुद बृजपाल शाक्य को अब तक तीन बार सांप द्वारा काटा जा चुका है,फिर भी उन्हें सांप पकड़ने का शौक है। उन्हें बचपन में यह शौक नहीं था, मगर सन 1983 में  जब एक सांप ने उन्हें खेत पर काम करते में काट लिया, तब से सांप पकड़ने में उन्हे मजा आने लगा।
     वह बताते हैं कि वह तब 36 की उम्र के थे और सांप के काटे जाने से  बेहोश हो गये थे। घर वालों ने सांप के जहर का असर कम कराने के लिए ढांक बजवाई थी। उसके बाद वह ठीक हो गए थे, तभी से उनके दिलो दिमाग में उठते बैठते सांप घूमने लगे और सांप पकड़ने का शौक लग गया। आज उनका नाम पूरे जसवंत नगर क्षेत्र में सांप पकड़ने वाले बाबा के नाम से मशहूर है। उन्होंने बताया कि पिछले 40 वर्षों के दौरान उन्होंने 3 और 4 हजार  के बीच सांपों को पकड़ा है। कभी किसी सांप को मारा नहीं और  जीवित हालत में ही सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है। वह जो भी सांप पकड़ते हैं, उसे जसवंत नगर के पास से बहने वाली भोगनीपुर नहर के पास छोड़ आते हैं। बरसात के महीनों में हर साल वह 50- 60सांप पकड़ते हैं।
    वह बताते हैं कि सांपों को कुछ सुनाई नहीं पड़ता, सपेरे बीन बजा कर सांपों के नृत्य का भ्रम दिखाते हैं। बीन के इशारे से सांप सर इधर-उधर घूमांता है। सांप, कीड़े, मकोड़े चूहे आदि खाते हैं,दूध भी नहीं पीते ।
   उन्होंने बताया कि जसवंत नगर इलाके में नाग ,नागिन(कोबरा) और घोड़ा पछाड़, पनिया तथा  कुचलैंड टाइप सांप ज्यादा पाए जाते हैं । कोबरा सांप जल्द रैंगकर अपनी जान बचाने के लिए शब्द छिपने की कोशिश करता है जबकि घोड़ा पछाड़ सांप बहुत तेज रफ्तार में रेंगता हुआ दौड़ता है। ज्यादा गर्मी और उमस तथा पानी भरने पर अपने बिलों से प्रायः सांप बाहर आते हैं।
 उन्होंने बताते कि सांप अगर उन्हें दिखाई भर पड़ जाए ,तो वह उसे पकड़ने में देर नहीं लगाते, मगर कुछ ऐसे भी सांप उनके पल्ले पड़े हैं, जिन्हें पकड़ने में उन्हें कई कई दिन इंतजार करना पड़ा। दो बार तो सांपों ने पकड़ने के दौरान उन्हें भी काट लिया था, मगर उन्हें एक ऐसी बीहड़ी रूखड़ी अब पता है, जिसे वह अपने पास रखते हैं, जिसके सेवन से सांप का जहर झट उतर जाता है। वह उस रूखड़ी का नाम बताने को तैयार नहीं हुए।     बृजपाल ने बताया कि वह सांप पकड़ने के लिए किसी भी यंत्र का प्रयोग नहीं करते, बल्कि एक डंडे के सहारे सांप को बस में करते हैं और उसके मुंह को बचाते हुए उसे डसने से रोकते हैं। इसके बाद पकड़ में आने पर किसी कांच के बर्तन या डिब्बे में बंद करके वह उसे नहर किनारे सुरक्षित स्थानों पर छोड़ आते हैं, ताकि कोई जानवर या कोई व्यक्ति उन्हें मार न सके। उन्होंने बताया कि सांप भी एक जीव है और वह कभी किसी को अपनी तरफ से नहीं काटना चाहता। उन्होंने बताया कि सपेरे जहरीले सांपों के फनो से उनके दांत तोड़ देते हैं, ताकि डस न सके, मगर आज तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। बरसात में बड़ी संख्या में पनिया सांप पैदा हो जाते हैं और यह कभी किसी को नहीं काटते,  यदि काट भी लें तो इन में जहर  ही नहीं होता, मगर लोग सांप के नाम पर वैसे ही भय से डर जाते और बेहोश हो जाते हैं।
   उन्होंने बताया कि जिस किसी के घर दुकान या अन्य जगह सर्प होने की खबर उन्हें मिलती है, तो वह बिना कोई खर्चा लिए सांप पकड़ने खुशी-खुशी जाते हैं। सांप को पकड़ने के बाद, जिसके यहां से सांप निकला है, उससे भगवान भोलेनाथ का प्रसाद चढ़ाने के लिए कहते हैं इसके अलावा उनकी कोई फीस नहीं  है।
उन्होंने बताया किआमतौर से सांप कभी किसी पर अपनी तरफ से हमला नहीं करते और न ही वह किसी को काटते हैं। जिस तरह से आदमी सांपों से डरता है, सांप भी ठीक उसी प्रकार मनुष्यों से भय खाते हैं और उन्हें देखकर अपना बचाव करने के लिए तेजी  से रेंगकर भागने और गायब होने की कोशिश करते हैं। क्योंकि उन्हें भी अपनी जान प्यारी है।
 कुछ स्थान ऐसे होते हैं जहां सांप प्रायः बसते हैं। ताल- तलइयों और खेतों में बामिया बनाकर रहना पसंद करते हैं। कोबरा सांप के बारे में तो बताया जाता है कि वह अक्सर नर और मादा जोड़ी के साथ रहते है। कोबरा यानी  नाग अपने उत्तर भारत में सबसे जहरीला सांप माना जाता है। इसके द्वारा काटे गए व्यक्ति का समय पर इलाज न हो, तो वह बचाया नहीं जा सकता।
*वेदव्रत गुप्ता
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