अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर मैरीकॉम की तरह ही बनने को बच्चे प्रेरित

फोटो वेदव्रत गुप्ता के साथ अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर एमएस मैरी कॉम

इटावा 19 दिसंबर। रविवार 18 दिसंबर का दिन इटावा के लोगों खासकर दिल्ली पब्लिक स्कूल , इटावा (डीपीएस) मैं पढ़ने वाले बच्चों के लिए ऐतिहासिक था।

मैं समझता हूं कि इटावा में आए दिन अनेक राजनीतिक हस्तियां आती रहती हैं, मगर “एमएस मैरीकॉम” जैसी खेल हस्ती इटावा शहर में पहली बार आई थी।

करीब 20 मिनट का सानिध्य इस दौरान मुझे भी उनका हासिल हुआ। देश कई सम्मानों पदम श्री, पदम भूषण, पदम विभूषण,मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड तथा 8 बार की विश्व चैंपियन , इतने ही बार एशियाई गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाली मैरी कॉम मुश्किल से मुश्किल 40- 47 किलो वजन की होगी। वह डीपीएस स्कूल में करीब डेढ़ घंटे रहीं और उन्होंने एनुअल स्पोर्ट्स डे के उद्घाटन के साथ-साथ जुटी भारी भीड़ के साथ सीधे संवाद किया।

उन्होंने साफ तौर पर अपनी मौजूदगी के दौरान जताया कि वह देश के लिए चाहे कितने पदक जीत चुकी हो अथवा राष्ट्रपति द्वारा उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाकर बड़ा सम्मान दिया गया हो फिर भी वह एक साधारण महिला है और उनके दिल में गरीबों ,बेसहारों, मजबूरों के प्रति संवेदना है। उन्होंने बताया कि दो बच्चों की मां बनने के बावजूद वह दृढ़ संकल्प से भरी हुई हैं और देश का गौरव बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने प्रोफेशन मुक्केबाजी को नहीं छोड़ा। 2 विश्व स्तरीय पदक उसके बाद और जीते।

मैरीकॉम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस दौरान और एनुअल स्पोर्ट्स डे के अवसर पर अपने उद्बोधन में एक बात जरूर लोगों को प्रेरित करने के लिए कही कि कुछ बनने के लिए अपने में भूख पैदा करना जरूरी है। उनकी यह बात उन हजारों बच्चों को जो डीपीएस स्कूल में पढ़ने वाले हैं। उनके दिलों को बहुत ही गहराई तक जरूर प्रेरित कर गई होगी।

।देश की सासद और इतने पदक जीतने वाली मैरी कॉम की सहजता और आत्मीयता भी मंच पर उस दौरान लोगों के दिलों में जरूर घर कर गई होगी, जब वह बच्चों के भांगड़ा डांस के दौरान कोई शर्म लिहाज किए बगैर खुद नृत्य करने लगी थीं। जबकि अक्सर देखा जाता है कि कार्यक्रमों में पधारे चीफ गेस्ट अलग ही नखरे दिखाते हैं।

वह यहीं तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने हर शख्स के साथ अपनी फोटो खिंचवाने और लोगों से हाथ मिलाने में कोई हिचक नहीं दिखाई सेल्फी तो वेखटक लोगों को दे रही थी और कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि वह देश की इतनी बड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव बढ़ाने वाली कोई खिलाड़ी हैं।

कार्यक्रम के उपरांत जब वह रवाना हो गई ,तो मैंने खुद कई बच्चों से इंटरेक्ट किया और पूछा कि मैरीकॉम को देख और उनकी स्पीच से उन्होंने क्या हासिल किया है?.. तो डीपीएस के अधिकतर बच्चे कह रहे थे कि वह भी मैरी कॉम जैसा बनकर खेल जगत में ऊंचाई हासिल करने की आज से ही कोशिश करूंगा।प्रस्तुति

-वेदव्रत गुप्ता

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