जसवंतनगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए हैं, सात गंभीर उम्मीदवार
*वैसे दो दर्जन है दावेदार *पार्टियों के टिकट पर टिकी है उम्मीदें
फोटो पालिका अध्यक्ष के चुनाव मैदान में उतरने के संभावित प्रमुख प्रत्याशी क्रम से राहुल गुप्ता, भागीरथ यादव, मोहन गिरी महाराज, अजय यादव बिंदु, राजीव यादव ,कुशल पाल शर्मा भोले, मोहम्मद नबी
जसवंतनगर (इटावा)। निकाय चुनाव की कभी भी घोषणा हो सकती है। मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन हो जाने के बाद लोगों की निगाह यहां की पालिका अध्यक्षी की सीट के आरक्षण पर टिक गईं है।
वैसे उम्मीद की जा रही है कि इस बार जसवंतनगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी आरक्षण में ‘सामान्य वर्ग’ के लिए इस बार आरक्षित हो जाएगी। यहां की सीट 2012 से लेकर 2017 तक पिछड़ी वर्ग महिला और 2017 से 2022 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है।इस वजह से लोग सामान्य होने उम्मीद लगाए हैं।
इस के चलते पिछले डेढ़ वर्षों से अध्यक्ष पद के कई दावेदार तैयारी में जुटे हैं और सात लोगों के नाम गंभीर प्रत्याशी के रूप में उभरे हैं। इनमें भागीरथ यादव ‘करू’, राहुल गुप्ता, बाबा मोहन गिरी, राजीव यादव, अजय यादव बिंदु ,मोहम्मद नबी, और कुशल पाल ‘भोले’ के नाम प्रमुख हैं।
इन सभी नामों की चाहत किसी न किसी पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद से भी जुड़ी है। इन सात नामों में तीन नाम तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के टिकट की आस लगाए हैं। यह तीनों लोग प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और क्षेत्रीय विधायक शिवपाल सिंह से जुड़ाव ही नही रखते,बल्कि श्री यादव के बेहद करीबी भी हैं।
राहुल गुप्ता प्रसपा के नगर अध्यक्ष हैं,जबकि राजीव यादव कई बार सभासद चुने जाने के साथ-साथ पार्टी के नगर महासचिव भी हैं।जबकि मोहन गिरी महाराज शिवपाल सिंह के धार्मिक रूप से बहुत ही करीबी हैं। मोहनगरी पिछले वर्ष से अपना प्रचार कर रहे हैं। यहां की खटखटा बाबा कुटिया के महंत होने के नाते उनका दावा है कि कुटिया पर आने वाली सभी महिलाओं के वोट उन्हे ही हर हालत मेंपड़ेंगे, किसी मुगालते में वह हैं।साथ ही कहते हैं कि यदि होने 2000 वोट भी मिल गए, तो उनकी जीत होगी।
राहुल गुप्ता हालांकि अभी चुनाव मैदान में प्रचार को लेकर बिल्कुल ही गंभीर नहीं हैं, न ही प्रचार मैदान में उतरे है,मगर उनके साथ सबसे बड़ा प्लस्पॉइंट यह है कि पार्टी के बेस्ट वर्कर और वोट उनके साथ एकजुट हैं। इसके अलावा प्रसपा नेता और लायंस क्लब अध्यक्ष होने की वजह से उनका अपना मजबूत वजूद है। कई बार सभासद रहे राजीव यादव की अपनी अलग ही पहचान है।वह राजनीति के मजे खिलाड़ी होने के साथ चुनाव अभियान चलाने के माहिर भी है। पिछले एक डेढ़ वर्ष में उन्होंने सामाजिक क्षेत्रों से भी जुड़कर अपना काफी प्रभाव जमाया है। इसलिए प्रसपा की टिकट पाकर अच्छी लड़ाई लड़ सकते हैं।
राजीव यादव के छोटे भाई अजय यादव ‘बिंदु’ भारतीय जनता पार्टी से न केवल जुड़े हैं, बल्कि जसवंत नगर में वह भाजपा सरकार के आने के बाद से बराबर लोगों के मददगार साबित हुए हैं। उनकी पहुंच भाजपा के शीर्ष नेताओं तक काफी अच्छी है। इसलिए उनको भाजपा टिकट मिलने की पूरी उम्मीद की जा रही है। एक बार वह पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ भी चुके हैं।
यहां यह बात देखने काबिल होगी कि यदि उनके भाई राजीव यादव भी मैदान में उतरते हैं, तो अजय यादव ‘बिंदु’ उनके सामने मुकाबले में उतरेंगे भी या नहीं। राजीव यादव के सामने भी यही स्थिति है कि वह अपने भाई को भाजपा का टिकट मिलने पर उनका मुकाबला करने के लिए मैदान में उतरना गवारा करेंगे?
भारतीय जनता पार्टी की ओर से एक और नाम बहुत ही गंभीर है।वह है, कुशल पाल शर्मा ‘भोले’ का। जिनकी छवि काफी साफ सुथरी ही नही बल्कि उनका व्यक्तित्व निर्विवाद है। वह आरएसएस के जिला संघ चालक रामनरेश शर्मा के परिवारीभी हैं। इसलिए उनका भी टिकट भाजपा से मिलना संभव है। भाजपा की टिकट के लिए यहां की लुदपुरा गौशाला में केयरटेकर के रूप में पालिका के संविदा कर्मी के रूप में काम करने वाले सुरेश गुप्ता भी अपनी दावेदारी ठोक रहे है, मगर वह आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं है कि वह चुनाव लड़ सके।
2017 के नगर पालिका चुनाव में पालिका अध्यक्ष के रूप में सुनील ‘जोली’ विजई हुए थे। उन्हें क्षेत्रीय विधायक शिवपाल सिंह यादव ने समर्थन दिया था, इस वजह से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को हार मिली थी। जोली की विजय में सबसे बड़ा योगदान अहीर टोला निवासी और आर्थिक रूप से बेहद संपन्न भागीरथ यादव ‘करू’ का था। 3 वर्ष तक जोली की पालिका अध्यक्षी भी भागीरथ यादव ‘ करू’ के निर्देशन में ही चली थी। बाद में जोली और भागीरथ में मतभेद हो गए ।इस कारण पिछले डेढ़ वर्ष से भागीरथ यादव ‘करू’ चुनाव लड़ने के लिए खुद जोरदारी से तैयारी में जुटे हैं। वह शिवपाल सिंह यादव से भी संबंध रखते हैं, मगर प्रसपा से अन्य उम्मीदवारों की दावेदारी के चलते भागीरथ यादव या तो खुद निर्दलीय या फिर समाजवादी पार्टी की टिकट के लिए दावेदारी ठोक सकते हैं । वह चुनाव की तैयारी में पिछले डेढ़ 2 वर्षों से लगातार जुटे हैं। उन्होंने कम से कम दो-तीन बार पालिका क्षेत्र के सभी वार्डों में डोर टू डोर संपर्क कर रखा है,इसलिए वह बहुत ही गंभीर प्रत्याशी हैं ।उनके साथ मुस्लिम वर्ग का भी अच्छा समर्थन है। इसके अलावा वह अन्य वर्गों में भी अच्छी पहचान रखते हैं। अब वह जिस पार्टी की टिकट उन्हें मिलती है या तो उससे मैदान में उतरेंगे अथवा निर्दलीय रूप में भी ताल ठोक सकते हैं यानि वह चुनाव में मुख्य लड़ाई में होंगे
नगर में करीब 25 परसेंट मुस्लिम मतदाता हैं। मुस्लिम समाज के किसी भी प्रत्याशी का नाम अभी नहीं उभरा है, मगर दोनों पैरों से विकलांग तथा मुस्लिम समाज में निर्विवाद और गहरी पकड़ रखने वाले मोहम्मद नबी, जो कि सब्जी के प्रमुख आढती हैं, वह चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटे हैं ।वह समाजवादी पार्टी की टिकट के लिए भी अपनी दावेदारी ठोके हैं ,हालांकि समाजवादी नेताओं से उनका अभी कोई सीधा संपर्क नहीं है, फिर भी उनकी उम्मीदवारी पर लोगों की काफी निगाह।है। वह चुनाव में काफी कड़ी टक्कर देने में समर्थ हैं। आर्थिक रूप से भी काफी संपन्न है। उनका विकलांग होना भी चुनाव में उनके प्रति अच्छी संवेदना पैदा कर सकता है।
पालिका की आर्थिक हालत जर्जर
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जसवंत नगरपालिका की स्थिति आर्थिक रूप से बहुत खराब है। इसलिए चुनाव मैदान में उतरने के आतुर प्रत्याशी जानते हैं कि यहां की कुर्सी पर बैठना कांटो की सेज पर लेटने के समान है,फिर भी करीब 20 लोग चुनाव मैदान में उतरने के लिए किसी न किसी रूप में अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। ऐसे भी दावेदार हैं, जिनकी हैसियत चार पांच सौ वोटो तक ही सीमित है और जिन्हें अपने समाज और अपने घर के वोट भी नहीं मिलने वाले ,फिर भी अपने को गंभीर प्रत्याशी घोषित करते हुए लोगों के संपर्क में हैं। और लोगों के मुंह से चेयरमैन साहब शब्द सुनकर खुश हो रहे हैं।
यहां की पालिका अध्यक्ष सीट यदि आरक्षण में महिला अनुसूचित जाति के लिए घोषित होती है, तो फिर सारे समीकरण बदल जाएंगे। वर्तमान पालिका अध्यक्ष सुनील जोली अपनी पत्नी को मैदान में उतारकर दावेदारी ठोक सकते हैं।
* वेदव्रत गुप्ता