उत्कृष्ट भावना अच्छे कर्म करने को प्रेरित करती : आदित्य सागर 

 *लुधपुरा जैन मंदिर में प्रवचन

फोटो:- सिद्धचक विधानमंडल मैं आचार्य आदित्य सागर महाराज प्रवचन करते और भगवान का अभिषेक करते जैन बंधु

जसवन्तनगर(इटावा)।जैन धर्म में भावनाओं का बहुत बड़ा महत्व होता है ,जैसी हम भावनाएं रखते या भावते हैं, उसी हिसाब से ही हमारे कर्म का का बंध होता है। हमारे अच्छे परिणामों का फल पुण्य, बुरे परिणामों का फल पाप एवं नरक गति है।

यह बात जैनाचार्य आदित्य सागर जी महाराज ने यहां लुधपुरा दिगंबर जैन मंदिर में सिद्ध चक्र विधान मंडल विधान के आयोजन में प्रवचन करते कही है।

उन्होंने कहा कि जैन धर्म में सबसे बड़ा मंत्र नमोकर मंत्र है, इस महामंत्र में पंचपरमेष्ठी को नमस्कार किया गया है। उन्होंने कहा कि अहिंसा धर्म से बड़ा कोई धर्म नही। हमे जिस तरह अपने जीवन से मोह है, संसार के हर प्राणी को भी उससे उतना ही मोह है। जीव हत्या सबसे बड़ा पाप है और इस पाप से कभी किसी को मुक्ति नहीं मिलती है ।इसलिए हर मनुष्य को अहिंसा धर्म का पालन करना चाहिए।

आचार्य आदित्य सागर महाराज के संग प्रवचनों के दौरान क्षुल्लक सिद्ध सागर जी महाराज भी मौजूद थे।

विधान में प्रतिदिन प्रक्षाल, शांति धारा, अभिषेक और सिद्धचक्र विधानमंडल की पूजा क्रियाएं हो रही हैं। आचार्य आदित्य सागर के प्रातःकालीन प्रवचन और शाम को रोज गुरु भक्ति, आरती और भजन संध्या आयोजित की जा रही है।

पूरा आयोजन वीरू जैन द्वारा किया जा रहा है । लुधपुरा समाज के देवेंद्र कुमार जैन सुइयां, ,संजीव जैन, सत्य प्रकाश जैन ,सुरेंद्र जैन, अजय जैन, प्रवीण जैन, विनोद निक्का जैन, राजीव जैन ,प्रदीप जैन, विजय कुमार जैन , चेतन जैन , प्रवीण जैन के जैन, बल्ले जैन , बंटू जैन , राजीव जैन विक्की जैन, रोहित जैन आदि सहयोग कर रहे हैं।

*वेदव्रत गुप्ता

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