फिनलैंड और स्वीडन के NATO में शामिल होने पर क्या रूस पर पड़ेगा कोई बुरा असर, जानिए क्या हैं इस फैसले की वजह
रूस और यूक्रेन युद्ध को अब तीन महीने होने वाले है. यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के सुझाव की जहाँ एक तरह रूस उसे कई दिनों से सजा दे रहा हैं वही अब खबर आ रही हैं की फिनलैंड और स्वीडन नाटो की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं.
जिसपर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन का बड़ा बयान सामने आया हैं जहाँ उन्होंने कहा कि,” फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल करने के पक्ष में तुर्की नहीं है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि नाटो सदस्य होने के नाते तुर्की वीटो का इस्तेमाल करके दोनों देशों इसके सदस्य बनने से रोक सकता है।”
अर्दोआन ने कहा कि तुर्की, जो पहले से ही नाटो का हिस्सा है, स्कैंडिनेवियाई दशों के इस संगठन में शामिल होने के कदम पर सकारात्मक विचार नहीं रखता है।मालूम हो की रूस कई बार स्वीडन के एयरस्पेस में घुसपैठ कर चुका है. दोनों ही देश रूस से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. यही वजह है कि फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होना चाहते हैं.