मेघनाद ने राम- लक्ष्मण से सड़कों पर किया भयावह युद्ध, लक्ष्मण को  लगा शक्तिवाण 

*रामा दल ने समुद्र पर सेतु बंधन कर लंका में किया प्रवेश *अंगद और रावण के बीच हुआ जबरदस्त

फोटो:- जसवंतनगर की सड़कों पर मेघनाद और राम -लक्ष्मण में युद्ध चलता हुआ ।रामलीला मैदान में सेतु बंधन की लीला के बाद समुद्र पार करते भगवान राम लक्ष्मण। रावण की बहन सूर्पनखा हास्य व्यंग्य करती।
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   जसवंतनगर (इटावा)। यहां के रामलीला महोत्सव में नगर की सड़कों पर राम और रावण के दलों के बीच युद्ध शुरू हो गया। 

     रामलीला मैदान में समुद्र पर सेतु बांधने रावण और अंगद के बीच संवाद तथा देर शाम  युद्ध मैदान में रावण पुत्र मेघनाथ ने लक्ष्मण पर शक्ति वाण का प्रयोग कर उन्हें  मूर्छित कर दिया गया।

      दर्शकों की प्रबल मांग पर रविवार को सबसे पहले राम-रावण के दलों के बीच युद्ध का प्रदर्शन यहां की सड़कों पर शुरू किया गया । देवी भक्त, रावण पुत्र मेघनाथ  नगर की आराध्य देवी केला देवी के मंदिर पर पूजा कर राम लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए नरसिंह मंदिर सेना सहित जा पहुंचा ,जहां से मेघनाथ और राम के दलों के बीच पारंपरिक प्राचीन युद्ध का प्रदर्शन शुरू हुआ। 
  नगर की सड़कों पर इस युद्ध को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों और छतों पर मौजूद थे। 2 घंटे तक युद्ध चलने के बाद दोनों दल रामलीला मैदान में पहुंचे।
     रामलीला मैदान में सबसे पहले भगवान राम ने वेद मंतोच्चार  के साथ समुद्र पर सेतु बंधन और रामेश्वरम की स्थापना की, ताकि उनका दल लंका पहुंच सके और रावण के कब्जे से सीता माता को मुक्त करा सके। जामवंत की राय पर लंका सीमा में प्रवेश करने के बाद भगवान राम ने एक बार फिर रावण के  दरबार में अपना दूत भेजने का निर्णय लिया। अबकी बार  वानर राज अंगद को लंका दरबार भेजा गया। वहां अंगद ने अपने संवाद के जरिए रावण को बहुत ही समझाने की कोशिश की, मगर रावण अपने अहम के आगे कुछ भी मानने को  जब तैयार नहीं हुआ, तो अंगद ने रावण की सभा में अपना  पैर रोपकर रावण के अभिमांन को चूर-चूर कर दिया।
    अंगद के लौटने के बाद लक्ष्मण युद्ध करने निकले। उनके और मेघनाथ के बीच भयंकर संग्राम हुआ, जिसमें मेघनाद ने शक्ति वाण का प्रयोग करते हुए लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया, जिससे रामा दल में शोक की लहर फैल गई। लक्ष्मण को मूर्छित देख  भगवान राम विलाप करने लगे और उनका विलाप सुन मेला मैदान में मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई। बाद में  लंका से सुषेन वैद्य को बुलाया गया, जिनके बताए अनुसार हनुमान  संजीवनी बूटी लेने गए और सूर्योदय से पहले पहले संजीवनी बूटी का पूरा पर्वत उठा लाये। संजीवनी  बूटी सूंघते ही  लक्ष्मण की मूर्छा टूट गई और इसी के साथ रविवार की लीलाओं का समापन हुआ।सुरेश मिश्रा और यश दुबे ने मेघनाथ की रास्ता की लड़ाई में पात्र की भूमिका निभाई। मैदान में मेघनाथ की भूमिका में अनेक पात्रों ने लीला का निर्वहन किया।

     नगर की सड़कों पर युद्ध प्रदर्शन होने के कारण रामलीला कमेटी के वरिष्ठजन राजीव गुप्ता बबलू, अजेंद्र सिंह गौर ,हीरालाल गुप्ता राजीव माथुर ,विवेक पांडे रतन, निखिल गुप्ता, विशाल गुप्ता आदि  के अलावा थाना प्रभारी मुकेश सोलंकी  चौकी प्रभारी ध्यानेंद्र प्रताप सिंह  आदि मय पुलिस फोर्स  के साथ युद्धक डोलों के साथ थे।
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*वेदव्रत गुप्ता

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