जन्म – मरण से मुक्ति व मोक्ष के लिये धार्मिक और नैतिक बल जरूरी : सुमत प्रकाश

  * पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में युवा जागृति  शिक्षण शिविर शुरू   *तीन दिन चलेगा शिविर   * बाल ब्रह्मचारी सुमत को सुनने को जुटी भारी भीड़

 फोटो:- युवा जाग्रत शिविर में व्याख्यान देते बाल ब्रह्मचारी पंडित सुमत प्रकाश
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जसवन्तनगर(इटावा)। इस संसार में हमे अपने अंदर दुर्बलता का भाव  कदापि नहीं लाना चाहिए, बल्कि धार्मिक बल की दम पर नैतिक बल को पैदा करना चाहिए। इससे हममें सदाचार के साथ  साथ धर्म मार्ग पर आगे बढ़ने का भाव उत्पन्न होगा ,फिर जन्म मरण  से छुटकारा पाते हुए आत्म बल के साथ मोक्ष पद को प्राप्त करने में अवश्य ही  सफल होंगे। 
         जीवन की गूढता से संबंधित यह बात  बाल ब्रह्मचारी पं. सुमत प्रकाश “खनियाधाना” ने श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर,जैन बाजार में शुरू हुए तीन दिवसीय “युवा संस्कार जागृति शिक्षण शिविर” में अपने पहले स्वाध्याय  व्याख्यान में कही है।
    उन्होंने कहा कि जहां असली भक्ति होती है, वहां त्याग आवश्यक रूप से होता है। बिना त्याग के भक्ति संभव ही नहीं है। दरअसल असली बन्दनीय तो आपका अपना आत्म स्वरूप है, जिसके आश्रय से हम मोक्ष पद को प्राप्त कर सकते है।  
उन्होंने आगे कहा कि वह जीवात्माएं धन्य  होती  हैं, जो भगवान के स्मरण और  बंदन से स्वयं भी बंदनीय हो जाते हैं। हमें अपने आत्मबल का सदा ही बहुमान करना चाहिए।
   तीन दिवसीय शिविर की शुरूआत में  पहले दिन तीर्थंकर भगवान का अभिषेक, पूजन आदि के आयोजन  सबसे पहले हुए।  पं. चर्चित शास्त्री ने भी इस शिविर में अपने प्रवचनों के माध्यम से उपस्थित जैन साधर्मियों को स्वाध्याय एवं वैराग्य का महत्व बताया। 
      शिविर में बाल ब्रह्मचारी पं.सुमत प्रकाश “खनियाधाना” का उन्माद देखते ही  बना। जैन साधर्मी उनके स्वाध्याय  को सुनने के लिए लालायित थे ।  बड़ी संख्या में जुटे जैनानुयाईयों  ने उनके स्वाध्याय का लाभ पूरी एकाग्रता व हर्षोल्लास से लिया ।
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*वेदव्रत गुप्ता

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