इटावा! विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर सामाजिक वानिकी प्रभाग रेंज भरथना एवं सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (स्कान) के तत्वाधान में रेंज परिसर भरथना में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया।
भरथना वन क्षेत्राधिकारी शिव कुमार सिंह ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से हो रहे जलवायु परिवर्तन में ग्रीन हाउस गैसों कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, हैलो कार्बन (क्लोरोफ्लोरो कार्बन, हाइड्रोफ्लोरो कार्बन, कॉर्बन टेट्राक्लोराइड) की भूमिका है। वायुमंडल में इनकी वृद्धि से पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। स्कॉन सचिव वन्यजीव विशेषज्ञ संजीव चौहान ने बताया कि 1970 के दशक के अंत में वैज्ञानिकों को ओजोन परत में छेदों के बारे में पता चला। इसके बाद 80 के दशक में विश्व के कई देशों की सरकार ने इस समस्या पर चिंतन करना शुरू किया। 1985 में दुनिया की सरकारों ने ओजोन परत की सुरक्षा के लिए वियना कन्वेशन को अपनाया। इसके बाद 19 दिसंबर 1994 को यूएन की जनरल असेंबली ने 16 सितंबर को ओजोन लेयर के बचाव के लिए विश्व ओजोन दिवस मनाने का फैसला किया। पहला ओजोन दिवस 16 सितंबर 1995 को मनाया गया था।
गोष्ठी में के.पी.सिंह एवं राजपाल कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम को सफल बनाने में स्कॉन एवं वन विभाग के पदाधिकारी अजय कुमार मिश्रा,सौरभ सिंह, महेश्वरी प्रसाद, व राजेश कुमार आदि का योगदान रहा।