कर्बला को आंख से नहीं देख सकते हो तो दिल से देखो- मौलाना ज़मीर
इटावा। स्थानीय आलमपुरा में मरहूम सगीरुल हसन के मकान पर शहीदाने कर्बला के बीसवें पर समीर सगीर, राहिल सगीर की ओर से मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस का शुभारंभ सलीम रज़ा, नज़ीर हुसैन अलीगढ़ ने सोजख्वानी से किया।
मौलाना सैयद ज़मीर हैदर रिज़वी इमामे जुमा करारी जिला कौशाम्बी ने मजलिस में तकरीर करते हुए कहा कर्बला कुर्बानियों की जगह का नाम है। जहां इमाम हुसैन ने 72 कुर्बानियां देकर रसूल अल्लाह के दीन को बचाया। कर्बला जरूर जाओ अगर दौलत है। दौलत नहीं है आंख से नहीं देख सकते हो तो कर्बला को दिल से देखो और शहर में रौजो पर जाओ, मजलिसों में जाओ। इमाम हुसैन जब मदीना छोड़ रहे तो फरमाते हैं जो इंसान अपना सब कुछ लुटाना जानता हो, अल्लाह से मुलाकात की तमन्ना हो वो मेरे साथ आए। इमाम हुसैन ने फरमाया जैसे सहाबी हमें मिले वैसे मेरे बाबा मौला अली को नहीं मिले। कर्बला में तीन दिन की भूख प्यास में इमाम हुसैन सहित भाई मौला अब्बास, बेटे अली अकबर, अली असग़र, भतीजे हज़रत कासिम सहित 72 लोगों को शहीद किया गया। कर्बला के सबसे मासूम 6 माह के अली असग़र को जब इमाम हुसैन पानी पिलाने ले गए तो दुश्मनों ने उन्हें भी शहीद कर दिया। इमाम हुसैन की शहादत सबसे आखिर में हुई। मौलाना अनवारुल हसन ज़ैदी इमामे जुमा इटावा ने मजलिस के उपरांत ज़ियारते आशूरा पढ़ी। मजलिस में तनवीर हसन, हसन रिज़वी, अली रिज़वी, अदनान रिज़वी ने नोहा ख्वानी की। मजलिस में हाजी कमर अब्बास नकवी, शावेज़ नक़वी बाकर अली, इरशाद अली, बरकत अली, सरताज रिज़वी, मिर्जा जी, पप्पू, अख्तर अली, सोहेल जैदी, शीबू, मौलवी ताबिश रिज़वी, मो. अब्बास, मो. मियां, कैफ़ी जैदी, आदिल अख्तर गुड्डू, एजाज हुसैन, राहत हुसैन रिज़वी, शाजू, मुशीर हैदर, अख्तर अब्बाज़, आले रज़ा नक़वी, अबरार हुसैन, मो. अहमद, जीशान हैदर, सैफू, शौजब रिज़वी, अयाज हुसैन, हम्माद, शब्बर अक़ील, सोनू, अदनान, फ़ातिक सहित बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की।