सिध्द विनायक भगवान गणेश की स्थापना की सर्वत्र चल रही तैयारियां

*19 सितंबर को होंगे विराजित *पूर्वान्ह 11:01 बजे से दोपहर 1:08 बजे तक स्थापना का शुभ मुहूर्त

फोटो:-गणपति स्थापना के लिए एक दुकान पर बिक रही गणेश प्रतिमाएं
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जसवंतनगर(इटावा)।सिद्धविनायक भगवान गणपति के इस बार गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को आगमन को लेकर हिंदू धर्म माताबलंबियों में जबरदस्त उत्साह है। उन्हें अपने घरों में विराजित करने की जोरदार तैयारिया आरंभ हो गई है।

    इस वर्ष सर्वाधिक गणेश भगवान की मूर्तियां यहां नगर और क्षेत्र में लोगों द्वारा विराजित कराई जाने वाली हैं। इनकी संख्या 1000 के आसपास रहने की संभावना है,क्योंकि नगर में विभिन्न स्थानो पर बिक रही मूर्तियों की जबरदस्त मांग है। एक मूर्ति विक्रेता ने बताया है कि वह 300 मूर्तियां बिक्री को लाया था, उनमें से तीन चौथाई अभी ही बिक गई है। इस वजह से वह और मूर्तियां लाने की व्यवस्था कर रहा है।करीब आधा दर्जन दुकानदारों ने इस बार बिक्री के लिए  नगर में गणपति भगवान की मूर्तियां लगाई है। बड़ी मूर्तियां श्रद्धालुगण आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, भिंड आदि स्थानों से खरीद कर ला रहे हैं।
      इस बार गणेश जी की मूर्तियां नई-नई डिजाइनों में आई है। इनमे  वह मूषक पर सवार हैं, तो किसी पर वृषभानु यानी बैल पर। जबकि अन्य मूर्तियों में गणपति भगवान सुसज्जित सिंहासन एवं कुर्सियों पर विराजित हैं। किसी-किसी मूर्ति में वह कार्तिकेय के साथ भी हैं। 
   लोग अपनी पसंद और जेब की क्षमता के अनुसार छोटी और बड़े साइज की मूर्तियां खरीद रहे है। उनके साथ रिद्धि- सिद्धि की भी मूर्तियां उनके बगल में बैठाने के लिए ज्यादातर लोगों द्वारा खरीदी जा रही हैं।
 यहां कस्बा में 7- 8वर्ष पूर्व तक बहुत कम ही गणपति विराजित कराए जाते थे। सबसे पहले यहां पढ़ाव मंडी में एक मुंबईया सुनार ने यह प्रथा करीब 30 वर्ष पूर्व सार्वजनिक पंडाल लगाकर शुरू की थी। कोरोना काल से पहले नगर में 50 से ज्यादा स्थानों पर गणेश की मूर्तियां विराजित कराई जाती थी। मगर 2 वर्ष पूर्व जब कोरोना काल थमा, तो लोगों का आकर्षण गणेश मूर्तियों की स्थापना की ओर तेजी से बढ़ा।
   आज यह स्थिति है कि घरों और सार्वजनिक स्थलों पर यहां कस्बा तथा  गांवों में गणेश जी  भारी संख्या में विराजित कराये जाते हैं।
     गणेश जी की मूर्तियां ज्यादातर प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी हुई मिलती हैं। मिट्टी की बनी एक दो कलाकार बेचते हैं, मगर वह उतनी आकर्षित नहीं होती, जितनी कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी मूर्तियां होती हैं ।
   पीओपी की मूर्तियों में बस एक ही कमी होती है कि इन्हें विसर्जित किए जाने पर यह गल कर मिट्टी में नहीं मिलती, जबकि मिट्टी की मूर्तियां 2- 4 दिन में पूरी तरह गल जाती हैं तथा जल और मिट्टी में मिल जाती हैं।
   जसवन्तनगर इलाके में यमुना किनारा कस्बा से करीब 8 किलोमीटर दूर कचौरा घाट पर है,इसलिए ज्यादातर लोग यहां भोगनीपुर नहर के सिरहौल पुल पर मूर्तियों का विसर्जन करते है। मूर्ति विसर्जन बड़े स्तर पर अब किए जाने के कारण पिछले दो-तीन वर्षों से पुलिस और प्रशासन ने सिरहौल पुल पर व्यापक इंतजाम करने शुरू किए हैं, ताकि मूर्ति विसर्जन के दौरान कोई दुर्घटना घटित न हो सके।
  गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
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   रिटायर्ड प्रधानाचार्य और  प्रकांड पंडित कमलेश कुमार तिवारी ने बताया है कि भगवान गणेश की मूर्ति को उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ होता है। यह दिशा मां लक्ष्मी और भगवान शिव की दिशा मानी जाती है। गणेश जी का मुख इस दिशा में रखने से भगवान महादेव के साथ-साथ महालक्ष्मी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
    जिस मूर्ति को घर में स्‍थापित करें, उसकी सूंड बाईं ओर होनी चाहिए, जो उनकी मां गौरी के प्रति उनका प्‍यार दर्शाती है।
     उन्होंने बताया कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी,हालांकि18 सितंबर को दोपहर 12:39 पर शुरू होगी और 19 सितंबर को रात 8:45 बजे तक रहेगी। परंतु गणेश भगवान की स्थापना 19 सितंबर को ही की जानी चाहिए। शुभ मुहूर्त दिन में 11:01बजे से दोपहर 1:08 बजे तक स्थापना के लिए अत्यंत शुभ है।
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फोटो:-गणपति स्थापना के लिए एक दुकान पर बिक रही गणेश प्रतिमाएं
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वेदव्रत गुप्ता
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