बरसात ने मूंग और मक्का की फसलें चौपट की,बाजरा बोने के लाले

    *खेतों में ओट न आने से किसान परेशान   * केवल धान उत्पादक खुश

फोटो : खेतों में बाजरा और मक्का
जसवंतनगर (इटावा)। पिछली 20 जून से आरंभ हुई मानसूनी वर्षा किसानों के लिए अब आफत बन गई है । अतिवृष्टि ने खरीफ की फसलों में मक्का और बाजरा को बुरी तरह प्रभावित करके रख दिया है। खेतों से कट कर आई मक्का के दाने या तो सूख नहीं पा रहे हैं या खेतों में खड़ी फसल गिर गई है और उनमें लगे भुट्टे सड़ गए हैं। 

         बाजरा की बुवाई  तो बुरी तरह प्रभावित है, क्योंकि वर्षा से जमीनों में पानी भरा हुआ है और  ओट आने लायक धूप नहीं खेल रही है।इतनी अधिक वर्षा होने की  किसी को भी उम्मीद नहीं थी और किसान भी हर वर्ष की तरह आस लगाये था कि वर्षा का मौसम एक जुलाई के बाद  ही शुरू होगा।

परंतु इस वर्ष 10-15 दिन पूर्व शुरू हुई बरसात ने और मक्का उत्पादक किसानों की कमर तोड़ दी है । क्योंकि अप्रैल और मई महीनों में जायद की पैदावार के रूप में किसान मूंग और हाइब्रिड मक्का की फसल बोने लगे हैं, जो 15 से 30 जून के बीच काटी जाती है। मक्का की फसल जून शुरू होते ही पकनी आरंभ हो जाती है और 15 दिनों के अंदर मक्का के दाने निकालकर किसान उन्हें बाजार में बेचने जाना 20- 25 जून से शुरू  कर देते हैं।         जायद में बोई गई मूंग भी जून के मध्य से कटनी आरंभ होती है ,मगर इस बार पूरी गर्मियों हफ्ता, 10 दिन में पानी बरसने से मक्का और मूंग दोनों ही प्रभावित होती रहीं और पकने में लेट हो गई।
 इस बार 20 जून से ही शुरू हुई मानसूनी वर्षा ने ने मूंग और मक्का दोनों की फसलों को या तो खेतों में ही तरबतर कर दिया अथवा  उन्हें काट कर खलियानो में लाया गया, तो वहां इनकी  मढ़ाई जब तक हो पाती, बरसात ने इन्हें इतना  भिंगा दिया कि मूंग की अब 80 परसेंट तक पैदावार  नष्ट हो गई या सड़ गई। भीगी हुई मूंग ,जो बाजारों में आई भी, वह मिट्टी मोल ही बिक सकी है।
मक्का की फसल का तो ऐसा बुरा हाल है कि किसान मक्के के दानों को सुखाने के लिए सूखे स्थानों की तलाश में हाईवे और गांव के जाने वाले रास्तों पर मक्का के दाने सुखा रहे है, लेकिन बरसात इन्हें सूखने नहीं दे रही है। बताया गया है कि मूंग और मक्का की फसलों को 60 से 70% तक नुकसान हुआ है ।कहीं-कहीं  तो किसानों को इनकी फसलें खेतों में ही छोड़नी पड़ी हैं।
        20 जून के आसपास मक्का और मूंग की फसलों के पक जाने के बाद किसान खरीफ फसल में बाजरे की बुवाई शुरू कर देते थे। इस बार मूंग और मक्का बरसात होने से पहले खेतों से न उठ  पाने के कारण बाजरा की बुवाई अब तक शुरू नहीं हो पाई है। वर्षा के चलते जमीनों में ओट ही नहीं आई है और किसान हार मान चुके हैं कि इस बार बाजरे की खेती वह नहीं कर पाएंगे।
– वेदव्रत गुप्ता
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