जब बलगम के साथ आया खून तब आशा दीदी ने की मदद
जब बलगम के साथ आया खून तब आशा दीदी ने की मदद
◾21 दिवसीय विशेष अभियान में मिले 21 लोगों में हुई टीबी की पुष्टि
रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
औरैया। भाग्यनगर ब्लाक के एक गांव की 20 वर्षीय अविवाहित किशोरी की ख़ासी में जब बलगम के साथ खून आया, तब उसे एहसास हुआ कि उसे कोई मामूली खांसी बुख़ार नहीं है| आशा कार्यकर्ता की मदद से जब गांव के सब सेंटर पर जाँच करायी, तो टीबी की संभावना देखते हुए बलगम का सैंपल लेकर जांच को भेजा गया तो टीबी की पुष्टि हुई। किशोरी तेज बुखार से ग्रसित थी और लगातार कमजोर बनी हुई थी। अब उसका टीबी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी से ग्रसित इस तरह और कई मरीज गत माह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में चलाए गए विशेष अभियान में चिन्हित किए गए। जनपद के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बीते माह 21 दिवसीय विशेष टीबी अभियान चलाया गया था। इस दौरान कुल 633 लोगों में टीबी के लक्षण पाये गए जिनमें से 409 लोगों के बलगम के सैम्पल लिए गए जिसमें से 392 सैम्पल की जांच की गयी जिसमें 21 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई है। जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ संत कुमार का कहना है कि सरकार का पूरा जोर जाँच का दायरा बढ़ाने पर है। उन्होंने बताया की 21 दिवसीय विशेष अभियान के तहत उन क्षेत्रों पर खास फोकस किया गया, जहाँ पिछले दो वर्ष में अधिक क्षय रोगी या कोविड के रोगी चिन्हित हुए थे। इसके अलावा उन क्षेत्रों को शामिल किया गया था जो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से दूर स्थित थे। टीबी मुक्त पंचायत के सम्बन्ध में ग्राम सभा स्तर पर ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में जागरूकता अभियान चलाकर टीबी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। उप जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ एपी सिंह ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आने वालों की काउंसिलिंग भी की गयी कि यदि परिवार या आस-पास के किसी भी व्यक्ति में टीबी के लक्षण जैसे- दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी, खांसी के साथ बलगम में खून आना, सीने में दर्द, शाम के समय बुखार आना, रात में सोते समय पसीना आना और वजन कम होने की बात सामने आये तो उनको टीबी की जांच के लिए जरूर प्रेरित करें। टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है, जांच में देरी करने से बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और इलाज लंबा चल सकता है। जिला पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने बताया की सभी चिन्हित मरीजों को पोर्टल में नोटिफाइड करते हुए टीबी का उपचार शुरू कराया गया है। इन मरीजों के बैंक खातों में निक्षय योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह पांच सौ रुपए की धनराशि भी दी जाएगी ताकि मरीजों का पोषणयुक्त खाद्य पदार्थ मिलते रहे।