कभी किसी के उपकार को विस्मृत और तिरस्कृत न करे :  प्रतीक सागर

   *प्राणोत्सर्ग भी कम है, धर्म और गुरु की रक्षा के लिए *मंदिर प्रवचन शाला, तो घर प्रयोग शाला 

फोटो:-पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जसवंत नगर में प्रवचन बेटे मुनि श्री 108 प्रतीक सागर जी महाराज
जसवंतनगर (इटावा)।संसार में जो भी महापुरुष या भगवान अवतरित हुए हैं,अनके जीवन चरित्रों का अध्ययन हमे एक धर्मानुयायी हो कर अवश्य ही करना चाहिए ,ताकि हमे बोध हो सके कि किन किन विपरीत परिस्थितियों का उन्होंने सामना किया,फिर भी उन्होंने धर्मपथ का त्याग नही किया।
    यह बात यहां पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जैन मोहल्ला में विराजमान क्रांतिकारी संत मुनि 108, प्रतीक सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों में शुक्रवार को कही।
    महाराज जी ने बताया कि ऐसे महापुरुषों श्री राम, तीर्थंकर महावीर, श्री कृष्ण, नेमिनाथ  आदि का वर्णन प्रथमानुयोग ग्रंथ में है। हमें इनके चरित्र का अध्ययन करना चाहिए और उनके पदानुयायी बनना चाइए।            उन्होंने कहा कि आज के बच्चे थोड़े से प्रलोभन में खुद को बदलने के लिए तैयार हो जाते है। अपनी संस्कृति को तार तार कर रहे है।  थोड़ा भी उनको आभास नही कैसे कैसे हमारे धर्म गुरु ने हमारे  जिन शासन की रक्षा की है।
  उन्होंने  कहा कि हमारा शरीर नश्वर है,  लाखो रोगों की खान है। हमे  यदि निरोगी और  सदपुरुष की श्रेणी में जाना है, तो परमात्मा का हर पल हर क्षण स्मरण  करना चाहिए।  ताकि हमारा कल्याण हो सके और हम दृढ़ संकल्पित आत्मबल के साथ सफल जीवन जी सकें। असाध्य रोग भी हमे अपने पथ से भृमित  नहीं कर पायेंगे।
   उन्होंने कहा कि पशु योनि वाला कभी स्वयं की ही रक्षा नही कर पाता ।हम मानव योनि में आए हैं यह हमारे ऊपर ईश्वर का बड़ा उपकार है, अतः हमे धर्म और गुरु की रक्षा अपने प्राण देकर भी करना चाहिए।
       प्रवचन सुन रहे श्रद्धालुओं को उन्होंने बताया कि मंदिर अगर प्रवचनों, आराधना और आस्था की शाला है, तो हमरा घर एक प्रयोग शाला है। प्रत्येक साधर्मी को चाहिए कि जो कुछ मंदिर में सीखें, उसको अपने आचरणों में उतारे।
    सदाचार का पाठ पढ़ाते उन्होंने कहा कि इस मानव जन्म में  यदि किसी ने किसी  भी रूप या परिस्थिति में अगर आपके संग उपकार किया है, तो उस  उपकारी व्यक्ति का कभी भी अनादर या तिरस्कार न करें। उपकारी होना  धर्मात्तमा होने का सकारात्मक लक्षण है।
नियम से घर मे स्वाध्याय व चिंतन करे ।क्या सही है ?.. क्या गलत है?.. इसका मनन और अनुशरण करे।
        मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज अपनी जन्मस्थली भिंड नगर के नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में चातुर्मास इस वर्ष करेंगे। इस बात की  पुष्टि शुक्रवार को हो गई।25 जून को वहां मंगल कलश स्थापना  होगी।
फोटो:-पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जसवंत नगर में प्रवचन बेटे मुनि श्री 108 प्रतीक सागर जी महाराज
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