यूएसएड-निष्ठा और आईएपीएसएम ने वंचित लोगों के लिए सप्लीमेंटल होम आइसोलेशन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए
दिल्ली, 19 फरवरी 2022: स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती प्रदान करने वाली परियोजना, निष्ठा ने आज भारत में कमजोर और वंचित समूहों के लिए होम आइसोलेशन संबंधी नए दिशा-निर्देश जारी किए। यह परियोजना यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा समर्थित है तथा जपाइगो और महामारी विशेषज्ञों (एपिडेमियोलॉजिस्ट्स) के गैर-लाभकारी संगठन, इंडियन एसोसिएशन फॉर प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) द्वारा लागू की गई है।
शहरी गरीब, आदिवासी आबादी, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों, मानसिक रोगियों, विकलांग व्यक्तियों और एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदाय जैसे हाशिए पर रहने वाले और वंचित समूहों को पारंपरिक रूप से स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों को हासिल करने में गैरबराबरी का सामना करना पड़ता है। वैश्विक महामारी कोविड-19 ने इस गैरबराबरी को और बढ़ा दिया है, जिससे ये समूह पहले से अधिक असुरक्षित हो गए हैं।
नए दिशा-निर्देश मौजूदा भारत सरकार के होम आइसोलेशन दिशा-निर्देशों के मामले में सप्लीमेंट की भूमिका निभाते हैं तथा होम आइसोलेशन और प्रबंधन पर अतिरिक्त व्यावहारिक नजरिया प्रदान करते हैं, और सर्वोत्तम प्रथाओं को सामने लाते हैं, ताकि कमजोर आबादी को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दी जा सकें। यह समर्थन स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी समय से चले आ रहे अमेरिका-भारत सहयोग पर आधारित है और भारत की स्वास्थ्य प्रणाली और कोविड-19 से निप्टने की क्षमता को मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार और प्रमुख हितधारकों के साथ साझेदारी करने के यूएसएड के प्रयासों के बारे में बताता है, जो विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों के लिए किए जा रहे हैं।
दिशा-निर्देशों की जरूरत को समझाते हुए, डॉ. बुलबुल सूद, वरिष्ठ रणनीतिक सलाहकार, जपाइगो ने कहा कि “वैश्विक महामारी ने कमजोर और वंचित समूहों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया है और इन पर असर भी एक जैसा नहीं पड़ा है, इसलिए इन समूहों के लिए कोविड-19 संबंधी प्रबंधन रणनीतियों को प्रासंगिक बनाना महत्वपूर्ण है ताकि हर व्यक्ति को बराबर लाभ मिल सके। इन दिशा-निर्देशों को वेबिनार और गोलमेज सम्मेलनों की एक सीरीज के जरिये थीमेटिक एक्सपर्ट्स ने तैयार किया है, और दिशा-निर्देशों को बनाने में सक्रिय भागीदारी करते हुए परामर्श प्रक्रिया को अपनाया है।”
डॉ. सुनीला गर्ग, नेशनल प्रेसिडेंट, आईएपीएसएम और ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (ओएमएजी) ने बताया कि “यूएसएड-निष्ठा के साथ साझेदारी में विकसित किए गए दिशा-निर्देश विभिन्न घरेलू देखभाल प्रथाओं के बारे में बताती हैं जिसे इन कमजोर एवं वंचित आबादी के लिए अपनाया जा सकता है ताकि उनके लिए कोविड-19 को लेकर बेहतर घरेलू प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके और विकेंद्रीकृत देखभाल प्रदान की जा सके। हमें उम्मीद है कि ये दिशा-निर्देश अन्य भागीदारों और कार्यान्वयन संगठनों को इन कमजोर आबादी के लिए घर में ही देखभाल करना सुनिश्चित करने में मदद करेंगे, ताकि हर किसी को देखभाल की सुविधा मिल सके।”
आज जारी किए गए नए दिशा-निर्देश यूएसएड-निष्ठा/जपाइगो और आईएपीएसएम द्वारा सरकारी, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के विशेषज्ञों के परामर्श लेकर विकसित किए गए हैं। व्यापक परामर्श प्रक्रिया में डॉ. सुनीला गर्ग, नेशनल प्रेसिडेंट, आईएपीएसएम और ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (ओएमएजी); डॉ. बुलबुल सूद, वरिष्ठ रणनीतिक सलाहकार, जपाइगो; डॉ. चंद्रकांत लहरिया, पब्लिक पॉलिसी एवं हेल्थ सिस्टम्स एक्सपर्ट, नई दिल्ली; डॉ. स्वाति महाजन, चीफ ऑफ पार्टी, निष्ठा/प्रोग्राम डायरेक्टर, जपाइगो; मेजर जनरल (प्रो.) अतुल कोटवाल, कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (एनएचएसआरसी), नई दिल्ली; डॉ ए. एम. कादरी, कार्यकारी निदेशक, राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र, गुजरात, महासचिव, आईएपीएसएम; डॉ टी. सुंदररमन, स्वतंत्र सलाहकार, पुडुचेरी, भारत, पूर्व, ईडी, एनएचएसआरसी, नई दिल्ली; डॉ अभय बंग, संस्थापक, निदेशक, सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ (सर्च), महाराष्ट्र; डॉ संजना मोहन, निदेशक (पोषण), बेसिक हेल्थकेयर सर्विसेज, उदयपुर, राजस्थान; सुश्री मिराई चटर्जी, सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमन्स एसोसिएशन (सेवा), अहमदाबाद, गुजरात; डॉ वैशाली कोल्हे, असिस्टेंट प्रोफेसर, सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्टडीज एंड एक्शन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), मुंबई, महाराष्ट्र; डॉ बासवराजू, कार्यकारी निदेशक, ग्रासरूट रिसर्च एंड एडवोकेसी मूवमेंट (ग्राम), कर्नाटक; डॉ योगेश जैन, संस्थापक सदस्य, संगवारी, छत्तीसगढ़; डॉ. किशोर कुमार, द बनयान, चेन्नई; डॉ संतोष कुमार गिरि, कार्यकारी निदेशक, कोलकाता रिस्ता, कोलकाता; श्री अमूल्य निधि, संस्थापक, सह-संयोजक, स्वास्थ्य अधिकार मंच, मध्य प्रदेश तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य और इस क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञ शामिल थे।