मैनपुरी का नाम बदलने को लेकर किसान यूनियन ने उठाये सवाल
- किसानों की उपेक्षा कर जनपद का नाम बदलना सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिस - अनुरूद्ध दुबे
पंकज शाक्य
किशनी/मैनपुरी- जिलापंचायत की बैठक में जनपद का नाम मैनपुरी के स्थान पर मयननगर रखने का प्रस्ताव शासन को भेजने पर बिरोध के स्वर उठने लगे है। लोगों का मानना है कि आखिर इस नाम में कमी क्या थी।
लोगों का मानना है कि जनपद की पहिचान मयन रिऋ के नाम से जानी गई है। इसलिये इसका नाम पहले मयनपुरी बाद में मैनपुरी पड गया। दो दिन पूर्व जिला पंचायत की बैठक में जनपद का नाम मैनपुरी के स्थान पर मयननगर करने का प्रस्ताव शासन को भेजने पर राजनीतिक दलों के अलाबा किसान संगठन ने भी प्रश्न उठाये है। भा0कि0यू0(किसान) के जिलाध्यक्ष अनुरूद्ध दुबे ने कहा कि जिला पंचायत की बैठक में किसानों की बढती जा रही समस्याओं पर ध्यान दिया गया होता तो उसकी तारीफ हो सकती थी। पर सिर्फ जनपद का नाम बदल देने से क्या हाशिल होगा। उन्होंने कहा कि नर्क का नाम स्वर्ग रख देने से क्या स्वर्ग की सारी व्यवस्थायें नर्क में उपलब्ध हो सकेंगीं। जनपद की माइनरें सूखी पडीं है। धान की फसल बिना पानी के सूख रही है। यूरिया की कालाबाजारी की जा रही है। 266.50 पैसे की दर से बिकने बाली यूरिया की बोरी 280 से 300 तथा उससे ज्यादा की बेची जा रही है।सरकारी खरीद केन्द्रों पर किसान की बजाय बिचौलियों का गेहूं खरीदा गया।डीजल की कीमतें आसमान छू रहीं है। उस पर टैक्स कम करने का प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा गया। गैस की कीमतों ने ग्रहणियों का बजट बिगाड कर रख दिया उस पर भी कुछ करते तो यूनियन तारीफ जरूर करती। मैनपुरी में कोई बडी इन्डस्ट्री नहीं है। यह कृषिप्रधान क्षेत्र है। यहां ज्यादातर लोगों का व्यवसाय खेती ही है। तथा किसानों का ही सबसे ज्यादा शोषण किया जाता है। जिला पंचायत को एक प्रस्ताव किसानों के हित में भी भेजना चाहिये था। जनपद का नाम बदलने का यह प्रस्ताव अनावश्यक तथा सस्ती लोकप्रियता हाशिल करने की एक कवायद मात्र है।