बेमौसम की बेदर्दी बरसात

*बेमौसम की बेदर्दी बरसात*

बेमौसम की बेदर्दी बरसात ने,
किसान को दिए करारे घाव।
सारी फसलें चौपट हो गयीं,
बचा न तन मन में उसके ताब।
बचा न तन मन में उसके ताब,
दाब इसका कैसे सहेगा बेचारा।
कैसे चलेगी उसकी रोजी रोटी,
कौन बनेगा उसका सहारा।
बेरहम प्रकृति भी लेती सदा,
गरीब किसान की कठिन परीक्षा।
एक समस्या से उबर न पाता,
दूजी आ जाती लेकर गलत इच्छा ।

– हरी राम यादव

Related Articles

Back to top button