*धर्म और सेवा का समन्वित रूप थे स्वामी विवेकानंद-डॉ.विद्याकांत*

*इटावा।भारत विकास परिषद धर्मार्थ सेवा शाखा द्वारा मंगलवार को राहतपुर स्थित श्री शंकर धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय के सभागार में स्वामी विवेकानन्द जी की पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।*

*परिषद के वरिष्ठ सदस्य एवं शाखा के संरक्षक शिक्षाविद डॉ.विद्याकांत तिवारी ने गोष्ठी में विचार प्रकट करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द के व्यक्तित्व एवं कृतित्व में धर्म और सेवा का अद्भुत समन्वय था।वास्तव में जो धर्म का काम करता है,वह एक तरह से सेवा का ही काम करता है और जो सेवा के काम से जुड़ा हुआ है,वह धर्म का ही काम कर रहा है।स्वामी विवेकानंद ने अपनी छोटी सी आयु में ही पूरी दुनियां को पीड़ित मानवता की सेवा का वो मार्ग दिखा दिया,जिसे असंख्य लोग सौ सौ वर्ष की आयु में नहीं कर पाए।हमारी भारत विकास परिषद भी स्वामी जी के जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म और सेवा के कार्यों से सतत रूप से जुड़ी हुई है और हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि परिषद ने हमें सेवा का वही पथ सुलभ किया है।*

*इस अवसर पर उपस्थित शाखा के अध्यक्ष केके त्रिपाठी,सचिव आचार्य महेश तिवारी,संगठन सचिव हरिदत्त दीक्षित,राजेंद्र कुमार दीक्षित,महेश चंद्र तिवारी अलकापुरी,विनोद त्रिपाठी, सीबी मिश्रा,घनश्याम तिवारी,डा. आशीष दीक्षित,अवधेश पचौरी सुधीर मिश्र, प्रशांत तिवारी ने भारत माता के साथ स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।गोष्ठी के अंत में परिषद के प्रांतीय वित्त सचिव आलोक रायजादा की पूज्या माताजी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।*

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