इमरजंेसी वार्ड की नर्सें विग्गो तक नहीं लगा पाती
इटावा। जिला अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। अधिकारी कान में तेल डाले बैठे है। सीटी स्कैन विभाग मंे आपा धापी मची हुई है। डा. सीटी स्कैन लिखवायी 500 रूपये लेते है। विभाग में तैनात स्टाफ भी मरीजांे से रूपये एंेठ लेता है। जितनी भी आमदनी होती है उसका 50 प्रतिशत हिस्सा अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी को पहुंचा दिया जाता है। अस्पताल सीएमएस सुबह 10 बजे से लेकर शाम तक आफिस मंे पहुंचते है लेकिन अस्पताल की समस्याआंे से कोई सरोकार नहीं है। भर्ती मरीजांे को कोई भी वार्डवाय वार्ड में छोड़ने नहीं जाता है। मरीज को परिजन खुद बीएसटी लेकर पूछ पूछकर वार्ड को जाते है। स्टेचर व्यवस्था अस्पताल मंे सिर्फ 8 से दो ही चलती है। रात में स्टेचर डयूटी वाला नदारत रहता है। इमरजंेसी वार्ड मंे एसी रूम में आकर सो जाता है। आज अस्पताल में दोपहर को इमरजंेसी मंे स्टाफ नर्सों द्वारा विग्गो लगाने के नाम पर अस्पताल के जिम्मेदार पद पर बैठे को ही लहुलूहान कर दिया।
जिला अस्पताल में तैनात हैल्पडैस्क मैनेजर मु. सगीर उल्टी व दस्त की शिकायत होने से पहुंचे इमरजेंसी वहां मौजूद डा. शिवम राजपूत ने इंजेक्शन व बोतल चढ़वाने इमरजेंसी वार्ड में भेज दिया वार्ड में मौजूद तीन नर्सें प्रियंका, संगीता सहित कई स्टाफ जूझते रहे हाथ में विग्गो तक नहीं लगा पायीं। दोनो हाथों से कई जगह खून टपकने लगा परेशान होकर अस्पताल मैनेजर सगीर इमरजेंसी से भागकर ऊपर एनआरसी वार्ड गये वहां भी स्टाफ न मिलने से वह अपने घर चले आए। इस तरह के मामले आये दिन वहां भर्ती मरीजों को झेलना पड़ते। अस्पताल के जिम्मेदार लोग जानबूझकर अनजान बने हुऐ अस्पताल में इधर से उधर स्टाफ को करने मे रकम प्राप्त होती है। सीएमएस पुराने अनुभवी लोगांे को वार्ड में शिफ्ट कर नए नौसीखिए स्टाफ को इमरजेन्सी वार्ड मंे तैनात किया। आखरी समय बचा है निमार्ण कराकर ही अधिकारी लाखों रुपए डकारने में लगे हैं। सीएमओ डा. गीताराम को चाहिऐ कि अस्पताल में चरम सीमा पर फैला भ्रस्टाचार एंव नौ सिखिया स्टाफ मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है ऐसे लोगों के लोगों पर कार्यवाही करंे।