रावण के पुतले का नही अपने भीतर छुपे रावण का वध सुनिश्चित करें यही संकल्प ले
ए, के, सिंह संवाददाता जनपद औरैया
उत्तर-प्रदेस :-:हम समाज का एक हिस्सा है। हर बार दूसरों को सुधारने के लिए निकलते हैं, इस विजयदशमी पर हमें अपनी कमियों को सुधारने का संकल्प लेना चाहिए। अपनी कमियों पर जीत पाने के लिए मेहनत करें, यही सबसे बड़ी जीत है। यह समाज को भी बेहतर बनाएगी सत्य सदैव विजयी होता है, और सत्य के पथ का अनुगमन करने वाला, विजेता बनता है, सत्य की शक्ति अलौकिक होती उसमें असीम उर्जा समाहित रहती, सत्य के आलोक में व्यक्ति का व्यक्तित्व अद्भुत हो जाता है, सत्य का आचरण करने वाला सदैव आप विश्वास से भरा रहता है, उसे भय स्पर्श भी नहीं कर पाता, उसका मस्तक सदैव ऊंचा रहता है सत्य के मार्ग में विपत्तियां अवश्य आती है, यह मार्ग कांटों से भरा होता है, परंतु इसमें चलने वाले पथिक को जो आनंद प्राप्त होता है वह अनिर्वचनीय है,
#मर्यादा #पुरुषोत्तम #भगवान श्री #राम ने सदैव सत्य के मार्ग का अनुसरण किया। सत्य ही धर्म है, इसलिए उनका मार्ग धर्म का मार्ग कहलाया, उन्होंने सत्य की शक्ति से, असत्य को धराशाई किया, रावण ने असत्य और छल का मार्ग अपनाकर स्वयं के नाश को आमंत्रित किया।
स्पष्ट है कि असत्य का मार्ग नाश का मार्ग है।
असत्य के बलवान होने पर भी एक समय आता है जब वह असहाय हो जाता है।
रावण के 1लाख पुत्र और सवा लाख नाती होने के बावजूद वह श्री राम से युद्ध हार गए, उसके कुल का समूल नाश हो गया, उसके घर में बाती जलाने वाला कोई ना रहा। समय रहते सत्य की शक्ति को वह जो जान ना सका सत्य को असहाय समझना उसकी मूर्खता थी। श्री राम सत्य के अनुगामी रहे उन्होंने सत्य की जीत के लिए अपनी सभी क्षमताओं का प्रयोग किया,
रावण के दिग्गज वीर योद्धा श्री राम की वानर सेना के सम्मुख टिक ना सके।
विजयदशमी का पर्व प्रतिवर्ष हमें सत्य की जीत का आभास दिलाता है।
हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में सत्य के मार्ग को आत्मसात करें । हजारों वर्षों के बाद भी सत्य का प्रभाव कम नहीं होता। अपितु उसका उत्कर्ष बढ़ता ही चला जाता है। सत्य प्रेरणा बनकर हमारे जीवन को आलोकित करता है हम सत्य को आधार बनाकर ही अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
हम यूँ ही अपने भीतर छिपे रावण को ढकते हुए, कब तक हम रावण रूपी पुतले को जलाते रहेंगे।
आओ एक दिया जलाए अपने अपने मन मे। अन्धकार को दूर भगाए सुंदर तन व मन से।