वीरगति दिवस (09 दिसम्बर)

अद्वितीय योद्धा: कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला (महावीर चक्र, मरणोपरान्त

माधव संदेश संवाददाता

कैप्टन महेन्द्र नाथ मुल्ला का जन्म 15 मई 1926 को गोरखपुर के एक प्रतिष्ठित वकील परिवार में श्रीमती कमला मुल्ला और श्री तेज नारायण मुल्ला के यहाँ हुआ था। इनके पिता श्री तेज नारायण मुल्ला एक प्रतिष्ठित वकील थे। स्कूली पढ़ाई के समय ही कैप्टन महेन्द्र नाथ मुल्ला का चयन सन् 1946 में रायल इंडियन नेवी के लिए हो गया और वह यूनाइटेड किंगडम में प्रशिक्षण के लिया चले गए। प्रशिक्षण पूरा होने के उपरांत उन्हें 01 मई 1948 को नौसेना में कमीशन प्रदान किया गया। बाद में इनका विवाह श्रीमती सुधा मुल्ला के साथ हुआ ।

भारत पाकिस्तान के बीच सन 1971 का युध्द छिड़ चुका था। भारतीय नौसेना अरब सागर में सक्रिय हो गई थी। पाकिस्तान की पी एन एस हंगोर भारतीय नौसेना को निशाना बनाने के लिए भारतीय जल सीमा में घुस चुकी थी। 03 दिसम्बर 1971 को उसके द्वारा भेजे जा रहे संदेशों को भारतीय नौसेना के उपकरणों ने पकड़ लिया। पकड़े गये संदेशों से पता चला कि पाकिस्तानी पनडुब्बी भारतीय जल सीमा में घूम रही है। इसे नेस्तनाबूद करने के लिए भारतीय नौसेना ने अपनी एंटी सबमरीन आई एन एस खुखरी और आई एन एस कृपाण को तैनात किया। दोनों 08 दिसंबर को मुंबई से चल पड़ीं और 09 दिसंबर को उस स्थान पर पहुंच गईं जहां पर पाकिस्तानी पनडुब्बी हंगोर के होने की सम्भावना थी ।

पी एन एस हंगोर को अपने उपकरणों से भारतीय एंटी सबमरीनों के पहुंचने का पता लग चुका था। उसने आई एन एस कृपाण पर टॉरपीडो से हमला कर दिया। लेकिन निशाना चूक गया। उसके तुरंत बाद ही पाक पनडुब्बी पी एन एस हंगोर ने दूसरा टॉरपीडो आई एन एस खुखरी पर दाग दिया। आई एन एस खुखरी पर दो छेद हो चुके थे। जहाज डूबना शुरू हो गया था। कैप्टन मुल्ला ने सभी साथियों को जल्द से जल्द लाइफ सेविंग जैकेट पहनकर अरब सागर में कूदने को कहा। उस वक्त जहाज के एक जवान के पास लाइफ सेविंग जैकेट मौजूद नहीं थी। कैप्टन मुल्ला ने उसे अपनी लाइफ सेविंग जैकेट पहनाकर पानी में धकेल दिया ताकि उसकी जान बच जाए। जहाज डूबता जा रहा था। ऐसे में कैप्टन मुल्ला जहाज के ऊपर बेखौफ खड़े रहे।

कैप्टन मुल्ला ने आखिरी वक्त तक सेना की उच्च परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपनी जहाज के साथ जल समाधि ले ली। उन्होनें अपने कर्तव्य को सर्वोपरि समझा और एक कमांडर के कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपने साथी सैनिकों की परवाह आखिरी समय तक किया। भारतीय सेना के इतिहास में कैप्टन महेन्द्र नाथ मुल्ला की यह कर्तव्यनिष्ठा और वीरता अद्वितीय है । उनके इस साहसिक कार्य के लिए उन्हें 09 दिसम्बर 1971 को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

आई एन एस खुकरी, 09 दिसंबर 1971 को को 08 बजकर 50 मिनट पर, दीव से लगभग 64 किलोमीटर दूर समंदर में पूरी तरह डूब गई थी । इस घटना में हमारी नौसेना के 178 नाविक और 18 अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे । 28 जनवरी 2000 को कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला के सम्मान में भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था । मुंबई में नेवी नगर, कोलाबा में कैप्टन एमएन मुल्ला ऑडिटोरियम का नाम उनके नाम पर रखा गया है। फ़ोयर में कैप्टन मुल्ला की एक प्रतिमा लगाई गई है तथा डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में एक सभागार का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है।

– हरी राम यादव

7087815074

Related Articles

Back to top button