मंहगाई के बावजूद करवाचौथ पर “करवा, सींकें, कैलेंडर” खरीदना नही भूली सुहागिनें !

फोटो:- करवा, सींकें, कैलेंडर बेचता एक  दुकानदार
_____
      जसवंतनगर (इटावा)। सुहागिन महिलाओं के पर्व करवा चौथ को लेकर मंगलवार को बाजारों में महिलाओं की जमकर भीड़ रही। करवा चौथ के व्रत में करवा, सींकें, कैलेंडर, यह तीन चीज पूजा के लिए बड़ी ही आवश्यक होती हैं, इसलिए महंगाई के बावजूद इनकी बिक्री जमकर हुई।

      करवा एक तरह का लोटानुमा बर्तन होता है, जिसमें जल भरा जाता है और पूरे दिन व्रत के बाद जब शाम को व्रत धारी सुहागिन महिलाओं को चंद्रमा के दर्शन होते हैं, तो इसी करवा से वह चंद्र भगवान को अर्क देती हैं। चारों दिशाओं में सींकें उसारती अपने पति के लंबे जीवन की कामना करती हैं ।
       इससे पूर्व व्रत रखकर वह उस कैलेंडर की  भी पूजा करती है, जिसमें चंद्रमा  सूर्य  आदि देवता होते हैं।
  इसलिए करवा चौथ व्रत और पूजा में इन  तीन चीजों का बहुत ही महत्व होता है। अब कुछ संपन्न महिलाएं चलनी का भी प्रयोग करने लगी हैं। उस चलनी की ओट से चंद्रमा के प्रकाश तले अपने पति के चेहरे का दर्शन करती हैं ।इसलिए करवा चौथ पर करवा, सींक कैलेंडर और चलनी इन चार चीजों का  महत्व पूजा दौरान काफी और शुभ है।
     वैसे तो  सम्पूर्ण मिट्टी का बना करवा सर्वाधिक शुभ होता है, मगर अब बाजारों में कई प्रकार के करवे बिकने लगे हैं। संपन्न महिलाएं सोने, चांदी, पीतल, कांसा  आदि कीमती धातुओं के बने करवे पूजा में प्रयुक्त करती हैं, जबकि बहुत सी ग्रामीण महिलाएं  शकर यानि चीनी के बने  करवे में पानी भर कर पूजती है और इन करवों  से अर्ध्य देने के बाद इनमे रखा गया और शरबत बन गया जल पीकर व्रत भी तोड़ती हैं। आजकल मिट्टी के करवे भी कई प्रकार के बिकने लगे हैं, इनमें बिना रंगीन सादा मिट्टी से बने  और कुछ रंगीन पोते गए  तथा कुछ पर सजावट की गई होती है। इस प्रकार के भी करवे  बाजार में बेचे जाते हैं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार सुहागिन महिलाएं इन्हें खरीदती हैं।
     महंगाई का आलम यह रहा कि मिट्टी का करवा जो 5 रुपए  कीमत में आसानी से मिल जाता था ,इस बार 10  रुपए से कम का बाजार में नहीं था। रंगीन पेंटड करवा 20 रुपए  कीमत  से लेकर 30 और 40 रुपए का था। गोटा और  किरन  से सजा धजा करवा 30 से लेकर 100 रुपए  कीमत तक  बिक रहे थे। सोने, चांदी के करवा तो हजारों रुपए कीमत पर उपलब्ध थे, जबकि पीतल ,तांबा ,अष्टधातु और कांसे के बने 200 रुपए  से लेकर1000 रुपए कीमत से ज्यादा के थे।
      करवा चौथ के व्रत में  सींकें भी विशेष प्रकार की  बढ़नी की प्रयुक्त की जाती है। नारियल की बढ़नी की  प्रयुक्त नहीं होती ।बढ़नी में जो सींकें होती हैं, उनमें आगे की तरफ महीन महीन कांटे होते हैं और सींक तीर का रूप लिए होती है। व्रत धारी महिलाएं सात  सींके आसमान की ओर तथा  दिशा वार एक एक  चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए उसारती हैं, इसलिए पूरी बढ़नी तो नहीं खरीदी जाती, बल्कि 7 या 8 खरीदी जाती हैं। सात की जगह 8 सींकें खरीद कर महिलाएं घर लाती हैं, ताकि इनमें से एक दो खराब हो जायें तो उनकी 7- 5 की संख्या बनी रहे। पहले करवा के साथ फ्री में  सींकें दी जाती थी, मगर अब सात आठ सींकें कम से कम 5 या 10 रुपए  की बिकती हैं ।
   इस वर्ष सादा चलनी की कीमत भी बाजार में50 रुपए  कीमत से कम की नहीं थी, जबकि सजी सजाई100 रुपए  की मिल रही थी ।कैलेंडर भी पहले ,जो दो या तीन रुपए का बिकता था, इस बार 10 रुपए का ठीकठाक वाला था  और मढ़ा हुआ 30 और 50 रुपए कीमत का था।
   करवा चौथ व्रत के सारे सामानों के दाम पिछले दो-तीन सालों में दुगने तक हो जाने के बावजूद सुहागन महिलाएं इन्हें खरीदना नहीं भूल रही थी। वह करवा चौथ पर सजने के लिए एक बार नई साड़ी या लहंगा खरीदने से मन  मसोस रहीं थीं, मगर पूजा की चार वस्तुएं अवश्य  ही खरीद रही थी।
*वेदव्रत गुप्ता
_____

Related Articles

Back to top button