इमाम हुसैन हिदायत का चिराग, निजात की कश्ती हैं- मौलाना ज़ैदी

इटावा। स्थानीय घटिया अज़मत अली स्थित इमामबाड़े में एजाज़ हुसैन बब्लू की ओर से मजलिस का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ तसलीम रज़ा, जहूर नक़वी ने सोज ख्वानी से किया।

मौलाना अनवारुल हसन ज़ैदी इमामे जुमा इटावा

इमाम हुसैन के झूले से मस होने से फरिश्तों को शिफा मिली। रसूल अल्लाह ने फरमाया मेरा हुसैन हिदायत का चिराग, निजात की कश्ती हैं। सभी धर्मों के लोग हुसैन से हिदायत भी ले रहे हैं और निजात भी पा रहे हैं। नबी जनाबे नूह ने अपनी उम्मत के लिए बददुआ की और अल्लाह के हुक्म पर कश्ती बनाई और एलान किया कि निजात चाहते हो तो कश्ती पर सवार हो जाओ। कुछ लोगऔर जानवर कश्ती पर सवार हुए। जो कश्ती पर सवार नहीं हुए वह निजात नहीं पा सके।मजलिसों में रसूल, नबी, एहलेबैत का जिक्र होता है। जिस हुसैन को रसूल अल्लाह ने हिदायत का चिराग, निजात की कश्ती बताया था उसी हुसैन को कर्बला में दुश्मने इस्लाम ने तीन दिन की भूख प्यास में 72 साथियों सहित शहीद कर दिया। इमाम हुसैन पर इतने हमले किये गए कि उनका जिस्म पर सैकड़ों जख्म हुए। मजलिस में कैफ वारसी, तालिब रिज़वी ने कलाम पेश किए, तहसीन रज़ा ने नोहा ख्वानी की। मजलिस में अल्हाज कमर अब्बास नकवी, राहत अक़ील, शावेज़ नक़वी, मो. अब्बास, राहत हुसैन रिज़वी, मो. अहमद, आले रज़ा नक़वी, दबीरुल हसन, अश्शू रिज़वी, आतिफ एड., परवेज़ हसनैन, कलीम वारसी, अमीर हैदर जाफ़री, इबाद रिज़वी, शब्बर अक़ील, जावेद, काशिब, लालू, अदनान जाफ़री, जुल्फिकार हुसैन, मो. अतीक, अलीशान, साजिद सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

 

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