कभी सिंचाई का साधन रही, “सिरसा नदी” का अस्तित्व ही अब विलुप्त

      *गंदगी और कूड़े से पटा नाला भर नजर आती है यह नदी

फोटो:- जसवंतनगर कस्बा के नदी पुल पर गंदगी से अटी पड़ी सिरसा नदी
जसवन्तनगर(इटावा)। जसवंतनगर इलाके से गुजरने वाली सिरसा नदी दिनों दिन विलुप्त हो रही है। चार दशक पूर्व तक इस नदी से किसान अपनी खेती की सिंचाई करते थे।  नदी के पानी की वजह से नदी किनारे के इलाकों में वाटर लेवल भी अच्छा रहता था।
  अब हालत यह है कि सिरसा नदी एक गंदे नाले भर में तब्दील हो गई है। जगह जगह सिल्ट, खरपतवार ,जलमंजनी और कूड़ा करकट इसमें जमा दिखते हैं। कहीं कहीं तो लोगों ने नदी के किनारे कब्जा लिए हैं और नदी के नाम का अस्तित्व ही खत्म हो गया है।
  किसानो राम सिंह, भगवान सिंह, गिरजा शंकर, सुम्मेर सिंह, अनार सिंह, सिपाही लाल, आदि का कहना है कि यदि इस नदी को साफ सुथरा कर दिया जाए और यह अपने अस्तित्व में आ जाए ,तो  इलाके में चल रहे जल संकट का काफी हद तक  समाधान हो जाए। सिंचाई के लिए हर समय पानी उपलब्ध होने लगेगा और वाटर लेवल ,जो नीचे 300-400 फुट नीचे तक चला गया है, भी तेजी से ऊपर आ जाएगा।
  बताया तो यहां तक गया है कि नदी के सूखने के बाद से लोगों ने उस पर अतिक्रमण कर जमीन कब्जा ली और नदी का बहाव रोक दिया है।    जगह-जगह सिल्ट और कूड़ा करकट एकत्रित हो जाने के कारण नदी में पानी अब आगे नहीं बह पाता।
   अखिलेश यादव की सरकार में तत्कालीन लोक निर्माण और सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने   सिरसा नदी को साफ कराने के लिए सरकारी खजाने से धन जारी किया था और काम भी  हुआ था। लेकिन लाखो रूपये खर्च होने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी  रह गई थी। 2017 के बाद सरकार ने सिरसा नदी की हालत पर कोई ध्यान नहीं दिया। 
    1970 के आसपास यह नदी इटावा,फिरोजावाद, मैनपुरी आदि जिलों के सैकड़ों गांवों में सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध कराती थी। नदी में पानी का बहाव इतना तेज रहता था कि बरसात में तो बाढ़ आ जाती थी। मगर अब सिरसा नदी के एक नाला भर  में तब्दील हो जाने से ज्यादा समय तक सूखी नजर आती है। 
   जसवंतनगर क्षेत्र के आधा सैकड़ा  गांवों जिनमे बीबामऊ, बलरई, नागरी, मानिकपुर, धरवार, राजपुर, तमेरी, सिसहाट, जसवंतनगर कस्बा, कैस्त, मलाजनी, भतौरा आदि गाँव में सिरसा नदी प्रमुख सिंचाई साधनों में शुमार रही इस नदी में ही जसवंतनगर कस्बा के सारे नाले गिरते थे और नालों में जलभराव नहीं रहता था। मगर अब ऐसा नहीं है न तो नदी की सफाई है और ना ही नदी में पानी का तेज बहाव  ही कभी दिखता है।
    यदि सरकार इस नदी की साफ सफाई, रुकावट और इसके किनारे हुए कब्जों को समाप्त कराते इसका जीर्णोद्वार करा दे, तो यह नदी  किसानों  के लिए सिंचाई का एक अच्छा साधन बन जायेगी। फसल की सिंचाई के लिए किसानों को  विद्युत आपूर्ति पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
*वेदव्रत गुप्ता

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