राम कथा के सातवें दिन,सीता स्वयंवर के प्रसंग का किया वर्णन – नरहरि दास
राम कथा के सातवें दिन,सीता स्वयंवर के प्रसंग का किया वर्णन – नरहरि दास
धूमधाम से मनाया गया राम-सीता का विवाहोत्सव , सीताराम के जयकारों से गूंजा पंडाल
रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
फफूंद,औरैया। कस्बा फफूंद के बाबा का पुरवा में स्थित सिद्धपीठ अस्तल धाम मन्दिर में नौ दिवसीय संगीतमयी राम कथा चल रही है। कथा के सातवें दिन शनिवार को व्यास महन्त नरहरि दास महाराज जी ने सायं कालीन कथा में सीता स्वयंवर के प्रसंग का वर्णन किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने धूमधाम से राम और सीता का विवाहोत्सव मनाया। वही विवाहोत्सव के बाद पूरा पंडाल जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा। कथा व्यास महन्त नरहरि दास महाराज जी ने श्रोताओं को तुलसीदास जी महाराज की चौपाई का सार समझाते हुए कहा कि राजा जनक ने सीता जी के विवाह के लिए स्वयंवर रचाया। जिसमें यह शर्त रखी कि जो राजा शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी के साथ वह अपनी पुत्री का विवाह करेंगे। सीता स्वयंवर में भाग लेने के लिए कई देश के राजा पहुंचे। लेकिन कोई धनुष को हिला तक न सका। राजा जनक को चिंतित देख गुरु विश्वामित्र ने राम को आज्ञा दी कि वह धनुष को उठाकर राजा जनक की चिन्ता और शंसय को दूर करें। जैसे ही प्रभु श्रीराम ने प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया धनुष टूट गया। धनुष टूटते ही सीता ने भगवान राम के गले में जयमाला डाल दिया। इस प्रकार सीता जी का प्रभु श्रीराम से विवाह हो गया। राम विवाह सुनने के लिए पंडाल में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं ने बधाई और मंगलगीत गाकर उत्सव मनाया। इससे पूर्व नगर व क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ की आरती उतारी। आयोजकों द्वारा इसके उपरांत श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया।