कहने को जसवन्तनगर तहसील मुख्यालय,  आला अफसर रहते नदारद

*डीएम एसएसपी से मिलना आसान, इनसे मिलना कठिन  *इटावा से अपडाउन करना इनकी शान    *पब्लिक से मुलाकात से कोई वास्ता नहीं

      फोटो :-  मॉडल तहसील जसवन्तनगर
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जसवन्तनगर (इटावा)।राजनैतिक मानचित्र पर पूरे उत्तर प्रदेश में  वीवीआईपी कस्बा के रूप में विख्यात और 40 हजार से अधिक आबादी वाला जसवन्तनगर नगर, प्रशानिक कारिंदों द्वारा किस कदर उपेक्षित है, उसकी मिशाल इसी से जानी जा सकती है कि उपजिलाधिकारी से लेकर पुलिस क्षेत्राधिकारी  और बीडीओ और ईओ से  लेकर बिजली के अधिकारी तक यहां आवासित नहीं रहना चाहते। जिला मुख्यालय इटावा में डेरा डालकर जसवंतनगर कस्बा और इससे  लगे गांवों  को राम भरोसे चलाते  हैं।
   जसवंतनगर को तहसील का दर्जा मिले हुए करीब 25 वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। मुख्यमंत्री रहे नेताजी मुलायम सिंह यादव ने मॉडर्न तहसील का निर्माण भी करवाया था। उनसे चूक हुई या नक्शा बनाने वालों ने तहसील परिसर में उप जिलाधिकारी और क्षेत्राधिकारी पुलिस के लिए  बंगलों कानिर्माण नही कराया।
   इसका फायदा इन पदों पर बैठने वाले अधिकारी शुरू से ही उठा रहे हैं और जसवंतनगर में रहना गवारा नहीं करते, जबकि इन्हें  होम अलाउंस के रूप में सरकार से तनख्वाह में हर  माह पैसा अवश्य  मिलता होगा। इसलिए एसडीएम और सी ओ जैसे अफसरों  यदि  उनके सरकारी बंगले नही  हैं, जसवंत नगर में किराए पर मकान लेकर रहना  चाहिए।  जबकि दोनो ही इटावा में सरकारी आवास आवंटित करवाकर जसवंत नगर की व्यवस्थाएं देख रहे हैं। रोजाना सरकारी गाड़ियों से आकर  आने जाने में सरकार का डीजल-पेट्रोल फूंकते है।
     योगी सरकार ने कई बार इस तरह के आदेश कि,ये हैं कि एसडीएम,  सी ओ जैसे अधिकारियों को अपने मुख्यालय पर ही   रहना चाहिए।
    मगर  यह  अफसर खुद तो नहीं रहते, इनके अधिनस्थ भी इसका फायदा उठाकर खासतौर से  बीडीओ ,एसडीओ आदि भी इटावा से अप डाउन कर जसवंत नगर का राज चलाते हैं।
 हालत यह है कि एसडीएम और सीओ तो रोज ही खुद अपने    कार्यालय में लेट पहुंचते हैं। फिर  उनके अधीनस्थ  कर्मियों से क्या उम्मीद की जाए।
    पिछली बार जब मुख्यमंत्री योगी ने सख्त आदेश किए थे तो एसडीएम के रूप में तैनात नम्रता सिंह कुछ दिनों के लिए यहां एक मैरिज होम में  आवासित रही थी।
     सरकार ने निश्चित कर रखा है कि अफसर लोग 10 बजे से लेकर 12 तक अपने कार्यालयों में  बैठें और पब्लिक से मिले, मगर जसवंत नगर के यह अधिकारी गण पब्लिक से मिलना गवारा नहीं करते।
     इससे पहले यहां जब क्षेत्राधिकारी के रूप में अतुल प्रधान तैनात थे, तो वह प्रायः अपने ऑफिस से बाहर बैठकर पब्लिक से मुलाकात करते और शाम को हाइवे चौराहा पर पब्लिक से संवाद करते थे। पुलिस संबंधी कार्यों के लिए लोग उनसे उनके कार्यालय में सीधे मुलाकात कर लेते थे, मगर जब से विवेक जावला क्षेत्राधिकारी के रूप में आए हैं, उनका पब्लिक से कोई वास्ता नहीं  रहा है। उन्होंने अपना रुतबा ऐसा गांठ रखा है कि एक बार एसएसपी से तो आसानी से मिला जा सकता है, मगर सी ओ से नही। वह ऑफिस में बैठे भी  हो और उनके पेशकार लोगों को समय भी दे दें, फिर भी  सी ओ साहब लोगों से मिलना गवारा नहीं करते। इधर दो महीने से वह और उनके कारिंदे भी उनकी चुनावी  व्यस्तता  बताते नही  अघाते है।
    तहसील जसवंतनगर में कार्यरत वकीलों का कहना है कि वर्तमान में जो अफसर यहां तैनात हैं, वह केवल अपनी नौकरी की खाना पूर्ति कर रहे हैं, उन्हें पब्लिक से कोई मतलब नहीं है। उनका यहां तक कहना है कि पहले जो अधिकारी तैनात थे 
,उनसे वह आसानी से मिल लेते थे, अब ये बैठते भी हैं, तो केवल मीटिंगों के अलावा जनता से कोई वास्ता नहीं रखते। जब कभी डीएम और एसएसपी आते हैं या तहसील  समाधान दिवस होता है तो इनकी शक्ल साथ में दिख जाती है। जसवंत नगर थाने में जब कभी शांत समितियां की बैठक होती है, तो उसमें यह अधिकारी पहुंचते जरूर है। मगर पुलिस केवल अपने चाटुकार चेहरों और दो चार नेताओं को बुलाकर इनकी खाना पूर्ति करती है। जसवंत नगर में अनेक समस्याएं हैं ,उनकी ओर तो कभी यह अधिकारी अपनी नजरे इनायत भी नहीं करते हैं। 
   तहसील जसवंत नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र कुमार गुप्ता एडवोकेट ने जिला अधिकारी, एसएसपी तथा प्रदेश सरकार के गृह विभाग से अपील की है कि तहसील  और ब्लॉक स्तर के सभीअधिकारियों को उनके मुख्यालयों पर ही आवासित रहने के कड़े निर्देश दें। बाकायदा उनकी लोकेशन ट्रेस की जाए। – वेद व्रत गुप्ता
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      फोटो :-  मॉडल तहसील जसवन्तनगर

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