माहे रमज़ान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाज़े- मौलाना इरफान
इटावा। रमज़ान के रौज़े इस्लाम को मानने वालों के लिए फर्ज़ है। रमज़ान के पवित्र माह में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। जो लोग इस महीनें में नेक काम करते है अल्लाह उन्की नेकियों में इज़ाफा करता है। माहे रमज़ान की फज़ीलत बयान करते हुए मौलाना मुहम्मद इरफान चिश्ती साहब ने कहा कि रोज़ेदार के लिए इस माह का लम्हा-लम्हा नेकियों का है। माहे रमज़ान उल मुबारक को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा रहमत, दूसरा मगफिरत (बख्शीश) और आखिरी हिस्सा जहन्नुम से निजात का है।
रमज़ान की अहमियत
मज़हबे इस्लाम के पांच अरकानो में रोज़ा भी एक रूक्न है। यह वह महीना है जिसमे अल्लाह तआला ने अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ को बन्दो की रहनुमाई के लिए इस जहां में उतारा। इस पाक माह मे अल्लाह जन्नत के दरवाज़े खोल देता है व दोज़ख का दरवाज़ा बन्द कर देता है, वहीं शैतान को कैद कर लेता है। इस महीने में नफ्ल काम करने पर अल्लाह फर्ज़ अदा करने का सवाब और फर्ज़ अदा करने पर सत्तर फर्ज़ का सबाब देता है।
रोज़ा किस पर फर्ज़ है
हर आक़िल बालिग़ मुसलमान मर्द व औरत पर रमजान शरीफ के रोज़े रखना फर्ज़ है।
रमज़ान का महीना क्यों खास है
मुसलमानों में परहेज़गारी पैदा करने का बेहतरीन ज़रिया है कि मुसलमान सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए साल मे एक महीना अपने खाने-पीने, सोने-जागने के वक्त में तब्दीली करता है। वह भूखा होता है लेकिन खाने-पीने की चीज़ों की तरफ नज़र उठा कर नहीं देखता है। रमज़ान का महीना मुसलमानो के सब्र के इम्तिहान का खास महीना है।