नफरत की दीवार गिराने निकले है दुनिया को हम प्यार सिखाने निकले है- रौनक
भरथना, इटावा। मां ने जबसे दूध पिलाना छोड दिया, बच्चों ने भी फर्ज निभाना छोड दिया पंक्तियांे ने साहित्यप्रेमियों को वर्तमान हालातों व दिनोंदिन रिश्तों में पनप रही दूरियों पर चिन्तन करने को मजबूर कर दिया।
रविवार को राधाकृष्ण आश्रम ग्राम नगला मोढा देव में स्व. छेदालाल व अयोध्या प्रसाद यादव की पुण्य स्मृति में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित करके किया गया। तदुपरान्त कवियत्री डा. मंजू यादव द्वारा माँ शारदे की वन्दना पढकर कवि सम्मेलन को गति प्रदान की गई। साथ ही शायर रौनक इटावी ने माँ ने जबसे दूध पिलाना छोड दिया, बच्चों ने भी फर्ज निभाना छोड दिया। उन्हांेने पढ़ा नफरत की दीवार गिराने निकले है दुनिया को हम प्यार सिखाने निकले है। गजलकार अशोक यादव ने घेर लेता है जब भी अंधेरा मुझे, माँ के आंचल में उजाला तलाश लेता हूँ, निगाहों ही निगाहों में हुई कुछ प्यार की बातें पढकर खूब तालियां बटोरी। वहीं अभिषेक श्रीवास्तव सरल, रवीन्द्र शर्मा, यशपाल यश, अनिल दीक्षित ने अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से रूबरू कराया तथा हास्य व्यंगकार लटूरी लट्ठ ने अपनी ठहाकेदार प्रस्तुति कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।