*रेजांग ला के वीर बलिदानी*
*रेजांग ला के वीर बलिदानी*
इतिहास लिख गये जो सीमा पर,
वह रणवीर अभीर बलिदानी थे।
जिन्होंने ने दस दस को था मारा,
वह अपने में खुद एक कहानी थे।
इरादे थे उन सबके फौलादी,
कर्तव्य उन्हें जान से प्यारा था।
यह देश हमारा अक्षुण्ण रहे,
मन में उन्होंने यही विचारा था।
सीमित संख्या थी सरहद पर,
साधन भी उनके सीमित थे ।
पर हौसले बुलंद थे उन सबके,
और सबके साहस असीमित थे।
लड़ते लड़ते गोला बारूद चुका,
पर चुकी न हिम्मत उन सबकी।
निष्प्राण पाषाण के बाण बना,
सुला दिया दुश्मन को दे पटकी।
हमले पर हमले उन पर होते रहे,
पर हर हमले पर वह भारी थे।
जय हिन्द के वीर सिपाही वह,
दुश्मन के लिए तलवार दुधारी थे।
काट रहे बैनट से अरि शीशों को,
जैसे फसल को काटता किसान।
लाशों के लगा दिये थे अम्बर ,
जैसे धन को करे इकट्ठा धनवान।
देख दहल उठा अरि का सीना,
अपनों की लाशों का बनता ढेर।
दहाड़ देखकर वह सकते में आये,
देखे न थे जीवन में ऐसे शेर।
लड़ते लड़ते मिट गये वीर सब,
पर एक इंच भी हटे न पीछे ।
अडिग हिमालय से खड़े रहे,
बंकर भी देख रहा आंखें मींचे।
देख वीरता दुश्मन सैनिक ने भी,
सम्मुख जिनके शीश झुकाया।
उन वीर, बहादुर, रणबांकुरों ने,
मातृभूमि को तिलक लगाया।
लिख गये कहानी जो तुम वीरों,
वह अब सेना का इतिहास बना।
रणनीति तुम्हारी, कौशल तुम्हारा,
और साहस बन गया लौह चना।
पढ़कर मनन करेंगीं पीढ़ियां देश की,
जो तुम युद्ध लड़ें उस इतिहास को।
माथा टेक टेककर नमन करेंगी ,
उस अहीरधाम भूमि खास को।
कोटिश नमन वीरता को मेरा,
दुश्मन ने भी तुमको वीर लिखा।
अब तक के युद्धों के इतिहास में,
“हरी”ऐसा दृश्य पहली बार दिखा ।।
– हरी राम यादव
7087815074