सार्वजनिक शौचालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता हुआ दिखाई पड़ रहा है,
माधव संदेश/ संवाददाता
रायबरेली सलोन केंद्र और प्रदेश सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत अनेक योजनाएं चलाकर भारत को स्वच्छ बनाने के लिए मुहिम चलाई जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा देश और प्रदेश को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं , यहां तक की पानी की तरह इस योजना के तहत पैसे खर्च किए जा रहे हैं, और हर घर में शौचालय बनाए जाने के लिए सरकार के द्वारा सहायता राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है, यही नहीं हर गांव में एक सार्वजनिक शौचालय का भी निर्माण कराया गया है और वहां के रखरखाव और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए गांव के ही एक समूह को जिम्मेदारी दी गई है और उनको इसका पैसा भी दिया जा रहा है, ताकि कोई व्यक्ति खुले में शौच करने ना जाए और लोगों को कोई परेशानी ना हो। यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि तरह-तरह की बीमारियां जन्म ले रही हैं और लोग संक्रमण से बीमार हो रहे हैं सभी मामलात को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा बड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी हकीकत क्या है और योजनाओं का क्रियान्वयन किस तरह से किया जा रहा है इसको देखने के लिए आप नगर पंचायत सलोंन आए तो आपको इन सारी योजनाओं पर ग्रहण बनकर बैठे अधिकारी सरकार को पलीता लगाते हुए दिखाई पड़ेंगे। आपको बता दें कि सूबे के मुख्यमंत्री के द्वारा सख्त निर्देश और आदेश दिए जा रहे हैं की हर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाई अन्यथा की स्थिति में उसके ऊपर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी, लेकिन इसका बिल्कुल भी ध्यान सलोंन नगर पंचायत के जिम्मेदारों को नहीं है, और वह मुख्यमंत्री के निर्देशों को ताक पर रखकर मनमानी करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। बता दें कि नगर पंचायत सलोंन के अंतर्गत बस स्टॉप सलोंन पर लाखों लाखों रुपए खर्च करके पिंक पब्लिक सार्वजनिक शौचालय बनाया गया है, और वहां पर कर्मचारियों की भी तैनाती की गई है शौचालय की दीवारों पर साफ तौर पर लिखा हुआ है कि इसके खुलने का समय 24 घंटे है और तैनात कर्मचारियों का नाम और मोबाइल नंबर भी लिखा गया है नगर पंचायत कार्यालय से महेज 500 मीटर की दूरी पर स्थित यह सार्वजनिक शौचालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता हुआ दिखाई पड़ रहा है, और आने-जाने वाले राहगीर भी इस परेशानी से दो-चार हो रहे हैं, बता दें कि दूर दराज से लोग सफर करके बस स्टॉप पर आते हैं और वह टॉयलेट जाने के लिए परेशान रहते हैं, लेकिन यहां पर तैनात कर्मचारी कभी सार्वजनिक शौचालय का ताला नहीं खोलना मुनासिब समझते, मौजूद लोगों ने बताया कि पूरे मामले की मौखिक शिकायत कई बार जिम्मेदारों से की गई है लेकिन इसके बावजूद भी कोई असर नहीं देखने को मिल रहा, और लगातार ताला बंद रहता है बता दें कि आने जाने वाली महिलाओं को बस स्टॉप पर टॉयलेट जाने के लिए झाड़ियों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन इन जिम्मेदारों पर जूं तक नहीं रेंगा। नगर पंचायत के ही एक सभासद से बात करने पर उन्होंने बताया कि सार्वजनिक शौचालय संबंधित परेशानियों की शिकायत उनके द्वारा कई बार नगर पंचायत में जाकर की गई है लेकिन किसी ने आज तक पूरे मामले को संज्ञान में नहीं लिया और आने-जाने वाले लोग महिलाएं व पुरुष बाहर शौच जाने के लिए मजबूर होते हैं। अब देखने वाली बात होगी की खबर प्रकाशित होने के बाद भी क्या जिम्मेदार संज्ञान में लेकर किसी तरह का कदम उठाएंगे या ऐसे ही सार्वजनिक शौचालय सफेद हाथी का दांत बना रहेगा।