इटावा। इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला की याद में मेंहदी अब्बास की ओर से राहत अक़ील के सैदबाड़ा शरीफ मंज़िल स्थित इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस का शुभारंभ तस्लीम रज़ा, सलीम रज़ा ने सोजख्वानी से किया।

मजलिस में तकरीर करते हुए मौलाना हैदर मौलाई जारचवी ने कहा इंसान न होता तो दुनिया को जीनत न मिलती, इस्लाम न होता तो इंसान को जीनत न मिलती, नमाज न होती तो शीयत को जीनत न मिलती और अगर अली न होते तो किसी को भी जीनत न मिलती। छठवें इमाम फरमाते हैं कि ऐ मेरे चाहने वालों मेरे लिए जीनत का सबब बनो जिल्लत का नहीं। रसूल अल्लाह ने फरमाया की अपनी मजलिसों को जीनत दो जिक्रे अली से। उन्होंने कहा कि मौला अली की बेटी और इमाम हुसैन की बहिन जनाबे जैनब ने कर्बला के बाद दुश्मन के दरबार में मजलिस की नींव रखी जो आज पूरी दुनिया मे हो रहीं हैं। जनाबे जैनब न होतीं तो हमे अजादारी न मिलती और मौला अब्बास न होते तो अलमदारी न मिलती। कर्बला के बाद जनाबे जैनब और इमाम जैनुल आबेदीन ने कयामत तक के लिए कर्बला और इमाम हुसैन की कुर्बानी को कायम कर दिया। महलिस में सलमान रिज़वी, आबिद रज़ा ने कलाम पेश किए और राहिल सगीर ने नोहा ख्वानी की। मजलिस में मौलाना अनवारुल हसन ज़ैदी, हाजी अरशद मरगूब, शावेज़ नक़वी, राहत हुसैन रिज़वी, एहतराम हुसैन, शीलू, पिंकू, तनवीर हसन, अयाज हुसैन, शब्बर अक़ील, हम्माद, सोनू, आतिफ, जीशान हैदर, अख्तर अब्बास, इबाद रिज़वी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। अंजुमन हैदरी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शावेज़ नक़वी ने बताया कि 12 अगस्त दिन सनीचर को रात 8 बजे पक्की सराये स्थित बड़े इमामबाड़े में सफीर हैदर की ओर से मजलिस होगी।

 

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