नम आंखों के साथ कर्बला में ताजिए किए गए सुपुर्द ए खाक


इटावा। दस मोहर्रम योमें आशूरा  पर या अली या हुसैन के गगनभेदी नारों के साथ स्थानीय वॉइस ख्वाजा स्थित कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन एवं शहीदाने कर्बला की ताज़ियत में उठाए गए ताजियों को गमगीन माहौल में नम आंखों के साथ सुपुर्द ए खाक कर दिया।
जहां पर अकीदत मंदो ने कुरान ख्वानी  के साथ फातिहा पड़ी। इससे पहले शहर के विभिन्न इमामबाडो एवं इमाम वारगाहों में कुरान ख्वानी हुई और कर्बला का मंजर बयां किया गया। तत्पश्चात इमामबाड़ों से ताजियों के उठने का सिलसिला शुरू हुआ और शहर से उठने वाले सभी ताजिए स्थानीय रामगंज चौराहा पर एकत्रित हुए। यहां पर बारह अखाड़ों के उस्ताद और खलीफायों  ने अखाड़ा जमा कर हजरत इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला को अंतिम सलामी देकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। ताजिया जुलूस की छटा देखने के लिए अकीदतमंद श्रद्धालु जनों का जनसैलाब रामगंज चौराहा से लेकर कर्बला रास्ते तक उमड़ पड़ा ।
सभी ताजियादार अपने ,अपने निशान और अलम लेकर अपने ताजियों के साथ जुड़े अलम ध्वजों के साथ जुल्फकारों का काफिला भी ताजिया काफिलें में सम्मिलित हो गया।
मेवाती मोहल्ला, अड़ार, नौरंगाबाद, कटरापुरदल खां, मोहल्ला उर्दू, व थड़ी के सफेद ताजिए कागज पर महीन कटिंग करके अभ्रक पर काबा, मदीना व कर्बला के रोजे के तुगरे बनाए गए थे। जो अपने आप में बेमिसाल थे। दवग्रान व पथवरिया व कटरा सेवा कली के ताजिए प्लास्टिक शीट पर बनाए गए थे। जिन पर आधुनिक बिजली की सजावट थी इन्हीं ताजियों के साथ रामगंज मोहल्ले का का चांदीवाला ,शीशे की छतरी वाला ,ताजिया था। जिसके साथ कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक खादिम अब्बास, शमशुल वारसी, शान मोहम्मद, भानु राजा वारसी, परवेज चीनी ,अब्दुल वहीद एडवोकेट, रियाज मास्टर वारसी, व वसीम वारसी चल रहे थे। हाजी फजल युसूफ खान ,रफत अली खान ,हंस की चोंच वाले ताजिए की देखरेख कर रहे थे। कटरा सेवा कली और दवग्रान् के प्लास्टिक वाले  ताजियों की व्यवस्था सिराज मिस्त्री, तथा मोहम्मद यूसुफ संभाले  हुए थे। मेवाती टोला, उर्दू मोहल्ला , अड़ार वाले सफेद ताजिये और मोर वाला ताजिए की व्यवस्था डैनी गुप्ता, मोहम्मद एजाज इंतजार खां , इजिहार खां व मरहूम मम्मू खां साहब के परिजनों के हाथों में थी। मोर वाले ताजिए की जिम्मेदारी मेव बिरादर के जिम्मेदार संभाले थे ।ऊंट पर सवार ताजिया कूंचा शीलचंद्र सराय से उठा। इसके अलावा दरीवालान ,गाड़ीपुरा शाहगंज उझैधी,आजाद नगर टीला , नई बस्ती, शाहकमर ,नौरंगाबाद सहित सहित कई मोहल्लों से ताजिए अलम निशान व जुल्फिकार उठाए गए। जिनकी संख्या सैकड़ों में थी इन सबको साथ लेकर ताजिया काफिला ने कर्बला की ओर कूच किया ।इस काफिले में ढोल तांशों के साथ मातम किया जा रहा था। इसमें कई बैंड व मेटाडोर पर  लाउडस्पीकर व डीजे से कर्बला में शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन के  जानिसारों की शहादत का मंजर बयां किया जा रहा था। ताजिया जुलूस मार्ग पर लंगर वितरण की विशेष रूप से व्यवस्था की गई थी ।प्रत्येक ताजिएदार अपने अपने जुलूस की स्वयं व्यवस्था संभाले हुए थे। चांदी ताजिया के साथ सफेद ताजिया व प्लास्टिक शीट पर तैयार किए गए ताजिए व थर्माकोल से बनाए अलम आकर्षण के मुख्य केंद्र बिंदु थे। इन पर बेहतरीन तरीके की नक्काशी की गई थी ।यह जुलूस लगभग एक किलोमीटर लंबा था। इसकी व्यवस्था में कई समाजसेवी समूह लगे हुए थे। इसमें प्रमुख रूप से कौमी तहफ्फुज  कमेटी के संयोजक खादिम अब्बास,मसूर तैमूरी, इंसानी भाईचारा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद आमीन भाई, इमरान फरीदी ,मानव हिंद एकता के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौहम्मद अजहरुद्दीन, जमील खान ,राशिद खान ,जलील खान, शाहिद भाई, झर्रन भाई, आदि के नाम प्रमुख है।
प्रशासनिक एवं पुलिस व्यवस्था चाक-चौबंद थी जिलाधिकारी अवनीश राय व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय वर्मा सुरक्षा व्यवस्था की कमान स्वयं संभाले हुए थे । उनका सहयोग स्पेक्टर इमरान फरीदी अपने लाव लश्कर के साथ कर रहे थे।इस ताजिया जुलूस में सभी वर्ग व धर्म के लोगों ने हिस्सा लेकर हजरत इमाम हुसैन व शहीदाने कर्बला को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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