अब नियोजित और स्वस्थ परिवार के लिए ‘‘मर्द भी बने जिम्मेदार’’
पुरूष नसबंदी और अस्थायी साधन कंडोम के साथ निभा सकते हैं जिम्मेदारी
सुरक्षित और प्रभावी हैं पुरूष भागीदारी के दोनों साधन
इटावा,22 जुलाई, 2023।
मातृ शिशु स्वास्थ्य और परिवार की खुशहाली में नियोजित परिवार की अहम भूमिका है, लेकिन इसका जिम्मा सिर्फ आधी आबादी के कंधों पर डाल दिया गया है । इस चलन को बदलना होगा । नियोजित और स्वस्थ परिवार के लिए पुरूष को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना होगा । इसी सोच को साकार करने के लिए इन दिनों सोशल मीडिया पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से ‘‘मर्द भी बने जिम्मेदार’’ हैशटैग के साथ अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि 35 फीसदी भारतीय पुरूष गर्भनिरोधन को महिला की ही जिम्मेदारी मानते हैं। जिले में परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ बी एल संजय का कहना है कि पुरूष भागीदारी के दोनों साधन कंडोम और नसबंदी महिला द्वारा अपनाए जाने वाले साधनों की तुलना में अधिक सुरक्षित व प्रभावी हैं।
डॉ संजय. ने बताया कि पुरूष भागीदारी बढ़ाने के लिए नवदंपति को दिये जाने वाले शगुन किट में कंडोम भी दिये जाते हैं। कंडोम न केवल परिवार नियोजन में अहम भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि इनसे यौन रोगों से भी बचाव होता है । शादी के बाद आशा कार्यकर्ता नवदंपति को प्रेरित करती हैं कि पहला बच्चा शादी के दो साल बाद ही करना है और दो बच्चों में तीन साल का अंतर भी बना रहे । पहले बच्चे में देरी और दो बच्चों में अंतर के लिए त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन और कई बार इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल महिलाओं द्वारा किया जाता है जिससे कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं और महिला को थोड़ी बहुत परेशानी भी होती है। इसके सापेक्ष अगर पुरूष कंडोम का इस्तेमाल करें तो दंपति का जीवन खुशहाल रहेगा और किसी प्रकार की दिक्कत भी नहीं होगी । परिवार नियोजन एवं लॉजिस्टिक प्रबंधक अमित विश्वकर्मा ने बताया कि जिले के 8 ब्लॉक में 200 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन बॉक्स हैं जहां पूरी गोपनीयता के साथ कंडोम ले सकतें हैं और किसी प्रकार की रोकटोक भी नहीं है।
जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ यश्मिता सिंह. बताती हैं कि जिन दंपति द्वारा परिवार नियोजन के पारम्परिक साधनों पर जोर रहता है वहां अनचाहे गर्भ का खतरा ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल करती हैं और विभाग यह सुविधा उपलब्ध भी कराता है, लेकिन लगातार कई बार इस दवा का इस्तेमाल करने से महिला के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । सुरक्षित और कारगर त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन लगवाने पर महिला को माहवारी सम्बन्धित हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है । आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी में भी महिलाओं को बदलाव की चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इसके विपरीत अंतराल में भी पुरूष की भागीदारी सरल और सुरक्षित है ।
शहरी क्षेत्र में रहने वाले 40 वर्षीय विहान ने बताया कि उनके एक बेटा और एक बेटी है और वह आगे परिवार नहीं बढ़ाना चाहते थे जिसके लिए परिवार नियोजन के विकल्प चुनने के लिए जिला अस्पताल जाकर परिवार नियोजन काउंसलर निशा से बात की उन्होंने बताया कि अगर स्थाई रूप से कोई विकल्प चुनाव करना है तो सबसे सही और सटीक विकल्प के रूप में पुरुष नसबंदी सबसे सही विकल्प है। उसके बाद डॉक्टर ने भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी जिसके बाद मैंने कुछ दिन पूर्व जिला अस्पताल जाकर परिवार नियोजन के प्रति अपनी भागीदारी निभाते हुए नसबंदी कराई।
अमित विश्वकर्मा ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी की स्थिति- पुरूष नसबंदी-अप्रैल 2023 से अब तक पांच पुरुषों ने नसबंदी कराई है।
कंडोम से हुई पुरूषों की प्रतिभागिता
2021-22 में 5,99,973, 2022-23 में 8,39,641 2023-24 में अब तक 1,03,413 कंडोम का इस्तेमाल पुरुषों द्वारा किया गया है।