गुरु पूर्णिमा महोत्सव जारी
इटावा। स्थानीय अशोकनगर में भरथना चौराहे के निकट स्थित गुरु पूर्णिमा आश्रम में चल रहे गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अंतर्गत बुधवार को बिधूना से पधारे कथावाचक आचार्य संतोष शुक्ला ने ध्रुव चरित्र पर व्याख्यान देते हुए कहा कि राजा उत्तानपाद की दो रानियां सुनीति और सुरुचि थे जिनमें सुनीति से ध्रुव का जन्म हुआ वास्तव में आध्यात्मिक दृष्टि से जीवात्मा ही उत्तानपाद है और नैतिक मूल्य और इंद्रिय वासना यह दोनों रानी के रूप में जीवात्मा पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं नैतिक मूल्य रूपी सुनीति से ध्रुवत्व यानी अविचलित भाव उत्पन्न होता है जबकि इंद्रिय वासना रूपी सुरुचि से उत्तम रूप अहंकार।
आचार्य श्री ने कहा की 5 वर्ष के बालक ध्रुव ने जो साधना की उसी से उन्हें परमपिता परमात्मा ने ध्रुव को सौरमंडल में विचलित ना होने वाले पद पर आसीन किया।
कथा रसिक हरिदास विनोद कुमार द्विवेदी ने बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण के ध्रुव चरित्र पर संतोष शुक्ला के व्याख्यान से पहले सिरसागंज से पधारे विजय कुमार उपाध्याय रामायणी रामचरितमानस पर आधारित राम कथा पर व्याख्यान देते हुए श्री राम जन्म उत्सव की महिमा का गान किया और कहा कि वास्तव में राम जैसे पूर्णावतार के लिए वात्सल्यपूर्ण भाव रखने वाली कौशल्या की आवश्यकता है और निश्चित रूप से जब दुर्वृति रुपी राक्षसों का प्रभुत्व बढ़ता है और सद वृत्ति रूपी साधु व्यथित होते हैं तब स्वयं परमेश्वर अवतरित होता है।