स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद है एमडीआर टीबी का संपूर्ण व सटीक इलाज

स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद है एमडीआर टीबी का संपूर्ण व सटीक इला

इटावा, 23 जून 2023 ।

मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के इलाज के लिए सरकार द्वारा बहुत ही प्रभावी कदम उठाए गए हैं जिसके तहत सटीक और सही इलाज स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद है। मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के इलाज में सरकारी दवा सबसे कारगर है। यह कहना है उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम उत्तर प्रदेश स्टेट टास्क फोर्स के वाइस चेयरमैन प्रो. (डॉ.) आदेश कुमार का।

डॉ. आदेश ने बताया- सैफई मेडिकल कॉलेज व टीबी सेंटर पर एमडीआर टीबी रोगियों के इलाज की पूर्ण व्यवस्था और दवा की उपलब्धता है। कभी कुछ टीबी मरीज जिनके ऊपर किसी दवा का असर नहीं हो होता, उन्हें टीबी सेंटर और सैफई मेडिकल कॉलेज में ही 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है। हालत में सुधार होने पर शेष दवाएं घर भेज दी जाती हैं। इलाज पूरा होने तक प्रत्येक टीबी मरीज़ को 500 रुपये प्रतिमाह सरकार की तरफ से पोषण के लिए भी दिए जाते हैं। मरीज़ ध्यान रखें कि दवाओं के सेवन के साथ जल्द स्वस्थ होने के लिए उचित खानपान व्यायाम, योग भी करना चाहिए। तंबाकू, धूम्रपान और किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी और वह जल्द ही टीबी मुक्त होकर स्वस्थ हो जाएंगे।

एमडीआर टीबी के इलाज में सरकारी दवा सबसे कारगर : डॉ आदेश

डॉ. आदेश ने बताया – एमडीआर टीबी मरीजों को पहले 24 महीने तक दवा खानी पड़ती थी।अब इन्हें सिर्फ 9 से 11 महीने तक ही दवा खानी पड़ रही है। इसलिए नियमित रूप से दवा का सेवन करें और टीबी का कोर्स पूरा करें जिससे जल्दी ही एमडीआर टीबी से मुक्त हो सकें। एमडीआर रोगियों की दवा की उपलब्धता केवल सरकारी ड्रग रेजिस्टेंट (डी.आर) टीबी सेंटर पर ही है। किसी भी प्राइवेट अस्पताल या मेडिकल स्टोर पर यह दवा नहीं मिलती।

उन्होंने कहा – राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एमडीआर रोगियों को जो दवा उपलब्ध कराई जाती है अगर उसका विदेशी दवा से आंकलन किया जाए तो एक रोगी के इलाज में लगभग नौ से दस लाख रुपये का खर्च आता है जो सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।

डीआर टीबी से बचने के लिए पूरा करें दवा का कोर्स

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. शिवचरण हैबरम ने बताया – टीबी के लिए सबसे अधिक प्रभावकारी दवाओं के ख़िलाफ़ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए तो इसे ‘मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट’ टीबी या ‘एमडीआर’ टीबी कहते हैं। यह टीबी का गंभीर रूप है और ऐसे में इलाज में थोड़ी सी भी लापरवाही करना जानलेवा साबित हो सकता है।

उन्होंने बताया – एमडीआर टीबी होने का सबसे आम कारण टीबी की दवाओं का सही तरीके से सेवन न करना है। मरीज़ डॉक्टर के बताए अनुसार इलाज का कोर्स पूरा नहीं करते जिससे बैक्टीरिया दवाओं के प्रति इतने रेजिस्टेंट हो जाते हैं कि इन पर दवाओं का असर बिलकुल भी नहीं होता है। इसके अलावा एमडीआर टीबी का दूसरा सबसे बड़ा कारण एमडीआर टीबी के मरीज के संपर्क में आना है। एमडीआर टीबी के मरीजों को बचाव के लिए इलाज के दौरान दवाओं का सही तरीके से सेवन करना चाहिए और दवा की कोई भी खुराक छोड़नी नहीं चाहिए। ऐसे लोग जो पहले से टीबी से पीड़ित हैं उनके संपर्क में आने से बचना चाहिए और मास्क का प्रयोग करना चाहिए। इस वर्ष जनवरी से अब तक जिले में कुल 2335 टीबी रोगियों को इलाज पर रखा गया है जिनमें से 103 मरीज एमडीआर टीबी के हैं।

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