ई-ऑटो रिक्शों के अंधाधुंध परिचालन ने जसवंतनगर को जाम में धकेला

   *नगर की 4-5 किलोमीटर लंबी सड़कों पर दौड़ रहे 400 से ज्यादा ऑटो

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 फोटो:-जसवंत नगर की सड़कों पर दौड़ते बेलगाम ई ऑटो रिक्शा

जसवंतनगर(इटावा)। कस्बा में इन दिनों अतिक्रमण और जाम की समस्या कर किसी की जवान पर है।       हाल ही में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान  चाय जाने के बाद हर कोई प्रशासन को कोस रहा है। ज्यादातर लोग अतिक्रमण हटाने के तरीके को लेकर रुष्ट हैं, मगर अतिक्रमण के अलावा नगर में इन दिनों लगने वाले जाम के अन्य कारणों के साथ साथ असल कारण पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है।

पिछले 5- 6 वर्षों के दौरान जसवंतनगर कस्बा में तीन पहिया रिक्शे पूरी तरह विलुप्त हो गए है। जो 70 – 80 तक की संख्या में नगर में दौड़ते थे और आदमी आदमी को ढोता था।
अब उनकी जगह बैटरी चालित ई- रिक्शों,जिन्हें ‘ऑटो’ या आम बोलचाल की भाषा में ‘टिर्री’ कहा जाता है, ने स्थान ले लिया है।
2011-12 में ये ई-रिक्शा तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने गरीब रिक्शा चालकों को उपलब्ध कराए थे, ताकि रिक्शा चालकों द्वारा मानव द्वारा मानव ढोने की प्रथा को समाप्त किया जा सके। करीब दो दर्जन रिक्शा चालकों को ऐसे ई-रिक्शा तत्कालीन सरकार ने प्रदान किए थे।
      बाद में यह ई – रिक्शा इतना अधिक प्रचलन में  आ गए कि जसवंतनगर कस्बा में यह ई रिक्शा  नगर की सड़कों पर जाम की समस्या के अन्य कारणों के साथ आज एक प्रमुख बन गए  हैं।
    स्थिति यह है कि जसवंतनगर में लगभग 400 से 500 की संख्या में ई-रिक्शा यहां की सड़कों पर या तो दौड़ रहे हैं अथवा अवैध वाहन स्टैंड बनाकर नगर की यातायात व्यवस्था को तार-तार कर रहे हैं।
        दरअसल में अखिलेश सरकार ने तो ई-रिक्शा लगभग मुफ्त ही बांटे थे ,मगर अब कोई भी व्यक्ति अपनी रोजी रोटी के इस सहज साधन को पाने के लिए बैंक अथवा फाइनेंसर से लोन लेकर धड़ाधड़  ई-रिक्शा खरीद रहे हैं। हालत यह है कि हाईवे चौराहे से लेकर रेलवे स्टेशन तक के एक किलोमीटर लंबे रास्ते पर भारी संख्या में दिन भर ये ऑटो रिक्शा मुख्य बाजार होकर दौड़ते हैं।
     जसवंतनगर कस्बा की कुल सड़कों की लंबाई चौड़ाई नापी जाए तो 5 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी। और इन 5 किलोमीटर रास्तों पर 4 सैकड़ा से ज्यादा ई-रिक्शा और ऑटो दिनभर दौड़ेंगे, तो यातायात व्यवस्था में जाम लगना स्वाभाविक ही है।
      नगरके कई धनी-मानी लोग बड़ी संख्या में ई-रिक्शा खरीद कर उन्हें किराए पर चलवा रहे हैं तथा यह भी नहीं देखते चलाने वाले किस उम्र के हैं इसलिए नगर में 14:00 15 साल तक के किशोर ऐसे ई रिक्शा और ऑटो चलाते देखे जा सकते हैं।
    असल बात तो यह है कि ज्यादातर  ई रिक्शा और ऑटो चालक ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं रखते और अपने वाहन का पंजीकरण कराना भी मुनासिब नहीं समझते। तीन पहिया रिक्शों का नगर पालिका में पंजीकरण होता था मगर अब इन ई रिक्शा और ऑटो का पंजीकरण करने का कोई भी  प्राविधान पालिका में नहीं बनाया गया है। इसलिए नगर में दौड़ रही ऐसी इ रिक्शा ओं की संख्या भी सही तरह से नहीं आंकी जा सकती है। यही वजह है कि दिनोंदिन इन ई रिक्शाओ की भीड़ नगर में बढ़ रही है ।
स्टेशन रोड स्थित नदी पुल के पास के अलावा हाइवे चौराहा और फाटक पार आदि स्थानों पर ई-रिक्शा और ऑटो वालों ने सड़क किनारे अपने अवैध स्टैंड बना रखे है जिससे सड़कें सिकुड़ गई है और जाम के हालात पैदा होते है।
     सदर बाजार, पालिका बाजार, हाईवे चौराहा, बड़ा चौराहा, छोटा चौराहा आदि स्थानों पर इनके अंधाधुन परिचालन से दिन भर सड़कों पर जाम लगा रहता है। बेलगाम रफ्तार से दौड़ने वाले यह ई रिक्शा आए दिन छोटे वाहनों,अन्य वाहनों और साइकिल व बाइक चालकों के साथ दुर्घटनाओं को अंजाम देते हैं, फिर भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इन के खिलाफ कोई कोई ठोस रणनीति बनाने की नहीं सोच रहे हैं।।
    जसवंतनगर कस्बे के बुद्धिजीवी वर्ग ने प्रशासन और पालिका अध्यक्ष से अपील की है कि ई रिक्शा के परिचालन की कोई गाइडलाइन बनाई जाए, ताकि नगर में लगने वाले जाम की समस्या से कुछ हद तक मुक्ति मिल सके।
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 *,वेदव्रत गुप्ता

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