जसवंतनगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव  में जातीय गणित की रहेगी खास भूमिका

 फोटो: सत्यनारायण शंखवार, सरिता जाटव, राजेंद्र दिवाकर,, अरविंद नेतू, अजीत दिवाकर
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जसवंतनगर(इटावा)। नगर पालिका परिषद जसवंत नगर के अध्यक्ष पद के चुनाव में यहां एक बार फिर यादव और मुस्लिम वोटर पिछली बार की तरह  निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

      दूसरी ओर यहां समाजवादी पार्टी और भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर जबरदस्त मंथन चल रहा है।
       सपा,भाजपा में 6 नाम उभरे
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  मंगलवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव सैफई में थे और वहां बड़ी संख्या में पालिका अध्यक्ष पद के दावेदार अपने समर्थकों के साथ टिकट का दावा करने पहुंचे। सूत्रों ने बताया है कि इन दावेदारों में सत्यनारायण शंखवार उर्फ पुद्दल, सरिता कुमारी जाटव पत्नी अनिल कुमार अध्यापक, अरविंद कुमार चक उर्फ नेतू तथा राजेंद्र दिवाकर आदि के नाम प्रमुख हैं।
     दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के  सूत्रों ने बताया है कि भाजपा जय शिव बाल्मिक और अजीत दिवाकर  के नामों पर अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए विचार कर रही है। स्थानीय पार्टी जनों ने इनके नाम हाईकमान को चयन के लिए भेजे हैं
   जातीय गणित पर दोनो पार्टी का ध्यान

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     पिछली बार की तरह इस बार भी जसवंत नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही कुर्सी पर आरक्षण के तहत बैठने वाला है।
    यहां जसवंतनगर में कुल मिलाकर 28 हजार के लगभग मतदाता हैं, जिनमें यादव जाति का है बाहुल्य  है,उसके बाद मुस्लिम समाज के वोटर हैं।
   जातीय गणित के हिसाब से विभिन्न जातियों के अनुमानित मतदाता निम्न प्रकार बताए गए हैं। यादव7500,मुस्लिम 4500,बनियाऔरजैन3800,शाक्य1500,बाल्मीकि1000,ब्राह्मण 1000,कोरी 1500,धोवी 600,जाटव 1300,ठाकुर 400,नाई 350,लोधी 250
पाल 400,कजड 300,कुम्हार 400,कहार 350तथा शेष अन्य फुटकर जातियां है।
      सन 2018 के निकाय चुनाव में यहां से बेड़िया जाति का प्रत्याशी विजई हुआ था । उसके अपनी जाति के मुश्किल से दो दर्जन वोटर ही यहां की मतदाता सूची में दर्ज थे। मगर उस चुनाव में उसकी टक्कर शंखवार जातिय और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हुई थी। विजेता प्रत्याशी सुनील कुमार जौली को उस समय प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का खुला समर्थन प्राप्त था। इस वजह से यहां के मुस्लिम और यादव वोटरों में बंटवारा हुआ था और शिवपाल सिंह समर्थक जोली
 मात्र 125 वोट से ही जीत सके थे। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सत्यनारायण शंखवार दूसरे नंबर पर खिसक  गए थे। तीसरे निर्दलीय राजेंद्र दिवाकर को भी डेढ़ हजार से ज्यादा वोट मिले थे।
   इस बार यह स्थिति नहीं है। शिवपाल सिंह यादव अब समाजवादी पार्टी में है और वही समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को तय करेंगे। इसलिए यादव और मुस्लिम वोटरो में बंटवारा नाम मात्र को ही होगा।                  समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के चयन में यह देखा जा रहा है की यादव और मुस्लिम मतदाताओं के अलावा किस जात के वोटर अधिक है और संभावना यही है कि समाजवादी पार्टी उसी जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारे।
     जसवंतनगर मैं भारतीय जनता पार्टी का दिनोंदिन जनाधार बढ़ा है ,इसलिए भाजपा भी यहां के पालिका अध्यक्ष के चुनाव में इस बार गंभीरता से प्रत्याशी उतारने को प्रयासरत है। पालिका अध्यक्ष की कुर्सी यदि सामान्य रहती, तो भारतीय जनता पार्टी एक बार यादव उम्मीदवार उतारकर दो दो हाथ करती ,मगर अब वह ऐसे प्रत्याशी पर दांव लगाना चाहती है, जो बनिया, ब्राह्मण, ठाकुर तथा अन्य जातियों के वोटों पर पकड़ बनाने में कामयाब हो।
    पालिका अध्यक्ष का चुनाव पिछली बार की अपेक्षा इस बार ज्यादा कसम कस भरा  भी होने वाला है ,क्योंकि सपा और भाजपा दोनों के लिए चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बनने वाला है । कांग्रेस और बसपा के पास कार्यकर्ताओं और संगठन का अभाव है, इसलिए वह भले ही प्रत्याशी मैदान में उतारे, मगर वोटरों के मध्य उनकी पहचान गंभीर नहीं होने वाली है। बिना किसी पार्टी के सहारे के निर्दलीय रूप में उतरने वाले प्रत्याशी सपा और भाजपा के प्रत्याशियों का नुकसान ही करेंगे।
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 *वेदव्रत गुप्ता

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