महज कागजों पर चल रहा गोवंश संरक्षण का काम,खेत से सड़कों तक अन्ना मवेशियों का लगा डेरा
*हादसों की मुख्य वजह भी बन रहे छुट्टा मवेशी,कहीं आश्रय मिल रहा और न चारा, कूड़े-कचरे से पेट भर रहे गोवंश *विभागों के अधिकारी, कर्मचारियों की घोर लापरवाही से मुख्यमंत्री के आदेश की उड़ाई जा रही धज्जियां
रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
औरैया। गोवंश संरक्षण के प्रति शासन की लाखों कोशिशों के बाद भी संबंधित विभागों के अधिकारी, कर्मचारियों की घोर लापरवाही सामने आ रही है। शहर में घूमने वाले गोवंश भूसा और हरे चारे की जगह कूड़ा कचरा खाकर और गंदा पानी पीकर पेट भर रहे हैं। शासनादेश के अनुसार जिले में घूमने वाले गोवंशों को 31 मार्च तक गोशालाओं में संरक्षित किया जाना था। इसके बावजूद संबंधित विभागों के अधिकारियों ने इस आदेश पर कोई अमल नहीं किया। हालात यह हैं कि शहर ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी निराश्रित गोवंशों के झुंड घूमते दिख रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंशों के झुंड खेतों और सड़क किनारे खड़ी घास-फूस खाकर अपनी भूखमिटा रहे हैं। जिले में करोड़ों की फसल अन्ना मवेशियों का निवाला बन गई। परेशान अन्नदाता ने हजारों बीघा खेत परती छोड़ रखे हैं।गंगाव यमुना कटरी के किसान अन्ना मवेशी से ज्यादा पीड़ित है। किसानों ने अरहर, मटर, सब्जी की फसले से तौबा कर ली है। शहर में गोवंशों का और भी बुरा हाल है। गोवंश के झुंड घरों और गली-मोहल्लों में पड़े कूड़े-कचरे को खाकर अपना पेट भर रहे है, जिससे गोवंश कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से ग्रसितहो रहे हैं। इस और संबंधित विभागोंके अधिकारी तो दूर, प्रशासनिक अधिकारियों का भी ध्यान नहीं है।जिले में एक लाख 62 हजार 813 गोवंशी होने का अनुमान है। 18 हजार 107 गोवंश सरंक्षित करने के दावे है। 1640 गोवंश सीएम सहभागिता देने की रिपोर्ट और 42 हजार गोवंशी लंपी टीकाकरण में मिल है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बोले विभाग के मुताबिक 99 फीसदी से ज्यादा मवेशी पकड़ कर गोशाला में संरक्षित कर दिए हैं। जिले में मात्र 1 फीसदी अन्ना को संरक्षित करना शेष है। जबकि इतनी अन्ना संख्या तो गांव के एक झुंड में देखने को मिल जाती है।