नगर पालिका जसवंत नगर सीट ‘अनारक्षित’ होने से उम्मीदवार की पौ बारह

*हर कोई लड़ सकेगा चुनाव *राजनैतिक पार्टियों की आफत

जसवंतनगर(इटावा) प्रदेश के राजनीतिक गढ़ों में शुमार जसवंत नगर की पालिका सीट आरक्षण में इस बार अनारक्षित घोषित किए जाने से यहां प्रत्याशियों की बाढ़ आने की संभावना बन गई है, क्योंकि किसी भी जाति का उम्मीदवार मैदान में पालिका अध्यक्ष की कुर्सी के लिए उत्तर सकता है।

जसवंत नगर सीट पिछले निकाय चुनाव में दलित वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी, जबकि 2012 में यह पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित थी। इस बार इस सीट के सामान्य अथवा दलित महिला होने की उम्मीद की जा रही थी, मगर सामान्य यानि अनारक्षित घोषित हुई है।

जसवंतनगर क्षेत्र वैसे ही राजनीति में बढ़ा चढ़ा है । यहां के लोग सीधे-सीधे बड़े राजनीतिक नेताओं से संबंध रखते हैं। इसलिए यहां समाजवादी पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ,भारतीय जनता पार्टी के टिकट या समर्थन पाने के लिए अनेक प्रत्याशी अपना-अपना दावा सीधे-सीधे नेताओं से कर सकते हैं ।अभी तक करीब 30 नाम वैसे ही चल रहे थे, अब अनारक्षित सीट होने से उम्मीदवारों की संख्या और बढ़ सकती है। बहरहाल डेढ़, दो वर्षों से बिना आरक्षण की स्थिति जाने जो दावेदार चुनाव प्रचार में जुटे थे उनकी तो पौ बारह हो गई है, क्योंकि उन्हें संदेह था कि कहीं उनके विपरीत आरक्षण न हो जाए मगर घोषित निकाय आरक्षण ने सभी के रास्ते खोल दिए हैं।

चुनाव प्रचार और अपनी उम्मीदवारी की दावेदारी में जुटे प्रमुख नामों में भागीरथ यादव करू, श्रीमोहन गिरी बाबा, अजय यादव बिंदु , विनय पांडे,राजेंद्र गुप्ता एडवोकेट ,मोहम्मद नबी, राजीव यादव, ऋषिकांत चतुर्वेदी, जितेंद्र यादव मोना, सत्यनारायण पुद्दल, प्रमोद गुप्ता उर्फ पप्पू माथुर, सुरेश गुप्ता, मोहम्मद अहसान, डॉ स्वराज्य श्रीवास्तव, विमलेश यादव, अभिषेक यादव, स्वयं सुनील जोली, कुशल पाल शर्मा भोले, अश्वनी गुप्ता, अतुल बजाज जैन आदि प्रमुख है।

इनमें ज्यादातर नाम प्रसपा या सपा से जुड़े हुए हैं ,जबकि भाजपा से भी कई टिकट के दावेदार हैं। बहुजन समाज पार्टी के टिकट के दावेदारों के नाम अभी सामने नहीं है, लेकिन यह पार्टी भी उम्मीदवार उतार सकती है।

सर्वाधिक दिक्कत समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के सामने आने वाली है कि वह किसको टिकट दे ,क्योंकि टिकट लेने के दावेदारों की संख्या सबसे अधिक है। कई उम्मीदवार जो डेढ़ दो वर्ष से लगातार अपने प्रचार में जुटे हैं, अगर उन्हें टिकट नहीं मिलेगी तो वह मैदान में निर्दलीय उतर कर खतरा बन सकते हैं।

*वेदव्रत गुप्ता

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