आरबीएसके की मदद से लौटी परिवार की ख़ुशी
जन्मजात दोष वाले 19 वर्ष तक के बच्चों को मिल रहा आरबीएसके का लाभ
अनिल सिंह ब्यूरो चीफ माधव संदेश
चित्रकूट-जनपद के कर्वी ब्लाक केनिवासीरोहित की पत्नी संध्या ने 18 अप्रैल 2022 को एक निजी अस्पताल में पुत्री को जन्म दिया| संध्या की सास गायत्री बताती है कि पुत्री के जन्म की बात सुनकर खुशी हुई कि घर में लक्ष्मी आई है, लेकिन जैसे हीच नातिन को देखा तो घर में मायूसी छा गयी| बच्ची के होंठ का ऊपरी हिस्सा कटा हुआ था| गायत्री के मन में बस यही ख्याल आया कि इससे अच्छा कि मेरे घर इसका जन्म ही न होता| दो दिन परेशानी और घबराहट में गुजरे| तीसरे दिन एएनएम जयरानी ने बताया कि बच्ची के कटे हुए होंठ सही हो सकते हैं, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत इसका इलाज बिलकुल निशुल्क है| एएनएम की सूचना पर आरबीएसके टीम से संपर्क करके, टीम के प्रभारी डॉ. शशांक पाण्डेय और फिजियोथेरेपिस्ट प्रदीप नामदेव के सहयोग से दोनवम्बर 2022 को बच्ची का ऑपरेशन कानपुर में किया गया| समय से मिले उपचार से परिवार के सदस्य खुश हैं|
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भूपेश द्विवेदी ने बताया कि लीलामणि अस्पताल कानपुर के डॉ.समीर सक्सेना ने सफल सर्जरी की। उन्होंने बताया कि प्रयास है कि जो भी जन्मजात दोष वाले बच्चे चिन्हित हो उनका इलाज आरबीएसके के अंतर्गत कराया जाए। ताकि आम लोगों को सरकार की इस योजना का लाभ मिल सके|यहाँ दें जानकारी
सीएमओ ने बताया कि जन्मजात दोष से पीड़ित बच्चों की जानकारी प्राथमिक विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र में दें। यहाँ आरबीएसके टीम समय समय पर विजिट करती है| इसके साथ,इन,नंबर 8005192648 , 80 52 27 03 56 पर भी संपर्क किया जा सकता है|
क्या है आरबीएसके
नोडल अधिकारी डॉ. इम्तियाज अहमद ने बताया किराष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक ऐसी ही पहल है जिसका उद्देश्य 0-19 वर्ष के बच्चों में चार प्रकार की विसंगठियों की जांच करना है| इनको फोर डी भी कहते हैं – डिफ़ेक्ट,एट,बर्थ, डेफिशिएन्सी, डिजीज, डेव्लपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता| इन कमियों से प्रभवित बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम निःशुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान कराता है| इसमें ह्र्दय रोग, बहरापन, मोतियाबिंद, कटे होठ, कटे तालू, मुडे पैर, एनीमिया, दांत टेढ़े मेढ़े होना, बिहैवियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, डाउन सिंड्रोम, हाइड्रोसिफलिस, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट आदि बीमारियां प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में कुल 33 बच्चों की सर्जरी कराई गई। जबकि वर्ष 2022 में अब तक 31 बच्चों की सर्जरी कराई गयी है|