कचौरा बायपास रोड पर हो गए जानलेवा गड्ढे, अफसर बेखबर

फोटोः कचौरा रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे
जसवंतनगर(इटावा)। कचौरा बाईपास पर बड़े-बड़े गड्ढे जान लेवा बन गये है। आये दिन घटनाए घटित हो रही है। मगर पीडब्लूडी विभाग के अधिकारी मौन बने हुये है। ध्यान देने वाला कोई नही है। यह समस्या को लगभग एक साल से ज्यादा हो गया है। इन गडडो मे बाइक तथा साइकिल सवार लोग अक्सर गिरते है। कभी-कभी तो बड़े वाहन भी गड्ढों में फंसकर दुर्घटना का शिकार हो रहे है।
बताते है कि सड़क पर हो रहे गहरे गहरे गड्ढे किसी को दिखाई न देते हो?
यहां से कचौरा घाट होकर आगरा के रास्ते राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र आदि के लिए हल्के और भारी वाहनों का आवागमन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। तमाम छोटे-बड़े वाहन टोल टैक्स बचाने के लिए कचौरा मार्ग से होकर आगरा की ओर निकल जाते हैं। इस रूट से आने जाने वालों की तादाद दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। बारिश के कारण गड्ढों की संख्या भी बढ़ी है, जहां कुछ दिन पहले छोटे छोटे गड्ढे दिख रहे थे ,वही अब धीरे-धीरे बड़ा रूप गए हैं। इसके बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर कतई ध्यान नहीं दिया है।
वह बड़े हादसों का इंतजार कर रहे हैं इन अधिकारियों को कौन समझाए कि हादसे में जान देने वाले कोई इनके अपने भी हो सकते हैं। क्षेत्रीय जनता ने हादसों से बचने के लिए सड़क पर हुए गड्ढों को तत्काल सही कराने की मांग की है।
माग करने वालो में राजेन्द्र कुमार एडवोकेट, यशपाल सिंह एडवोकेट, मनोज कुमार, राजू ठाकुर, राजवीर सिंह, यश दुवे, नीतिन , आदि लोगो है ।
जैन मोहल्ला निवासी कमलनयन कोल्ड स्टोरेज के प्रोपोराइटर शिवांत मिश्रा का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू की निकासी के लिए व्यापारियों से मिलने आना जाना पड़ता है ।कभी कभी रात भी हो जाती है, जिससे इन गड्ढों से कभी भी हादसा होने का डर रहता है। उन्होंने मांग की है कि इसे शीघ्र ठीक कराया जाए।
कचौरा निवासी पारूल वर्मा आलू व्यवसाई का कहना है कि आये दिन तहसील तथा बाजार के काम से आना जाना पड़ता है बारिस का समय है जिससे गड्ढे और बड़े होते जा रहे हैं तथा हादसों को दावत दे रहे हैं इसे शीघ्र ही ठीक कराया जाए।
अवर अभियंता लोक निर्माण विभाग अभिषेक भदौरिया ने बताया कि ग्राम कीरतपुर के ग्रामीण का कहना है उनकी जगह सडक मे गई थी जब तक उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक वह सड़क नहीं बनने देंगे जबकि प्रशासन द्वारा कई बार सड़क बनाने के प्रयास किए गए हैं।
~वेदव्रत गुप्ता